जम्मू.Contract Employees Regularization: अनियमित और संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया हैं। दरअसल, लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे अनियमित और संविदा कर्मचारियों के एक मामले में हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीधे तौर पर कह दिया कि, किसी भी शर्त पर नियमितीकरण नहीं हो सकता हैं। बता दें कि, कई राज्यों में इस समय संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा गरमाया हुआ हैं। इसके साथ ही कई राज्यों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन, मोर्चा, धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता तसलीम आरिफ को 12 मई 2008 को पीएचई मंत्री की सिफारिश पर संविदा के तौर पर नियुक्ति की गई थी। वहीं, एक साल नौकरी करवाने के बाद तसलीम आरिफ को साल 2009 में सेवा मुक्त कर दिया गया। हालांकि, वेतन बंद होने के कारण उसने प्रतिवादी के समक्ष अभ्यावेदन दिया था। उसने जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2010 के तहत वेतन जारी करने और उसकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए रिट याचिका दायर की। 28 दिसंबर 2011 को रिट याचिका का निपटारा कर उसकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए दावे पर विचार करने का निर्देश दिया और अर्जित राशि जारी करने को कहा था। इसके बाद याचिकाकर्ता को वेतन जारी किया गया। लेकिन, सेवा नियमितीकरण पर कोई फैसला नहीं लिया। इस पर उसने दोबारा रिट याचिका दायर की।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल ने कहा कि, अस्थायी आधार पर नियुक्ति के कारण अन्य पात्र उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर से वंचित कर दिया गया हैं। इसमें संदेह नहीं हैं कि, याचिकाकर्ता की नियुक्ति बिना किसी चयन प्रक्रिया के केवल तत्कालीन मंत्री की अनुशंसा पर की गई हैं। अन्यथा यह स्थापित कानून हैं कि, एक बार जब किसी उम्मीदवार की प्रारंभिक नियुक्ति सक्षम प्राधिकारी द्वारा नहीं की जाती हैं तो उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया जा सकता हैं। इन टिप्पणियों के साथ उच्च न्यायालय ने वर्तमान याचिका खारिज कर दिया।
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