क्या आपको पता है भारत इतने दिनों तक अंग्रेजो की गुलामी में क्यों रहा ? सायद अपने कभी सोचा ही नहीं होगा की यह सबसे बड़ा कारण था..आइये आपको बताते है

फटाफट स्पेशल : जिस तरह से हमारे हाँथ की एक ऊँगली को तोडना बहुत आसान होता है , अगर वही हाथ की सारी उंगलियां मुट्ठी बन जाए तो कोई हमसे मुकाबला भी नहीं कर सकता। वही होता है व्यावहारिक जीवन में यदि आप अकेले है तो आप बहुत कमजोर होंगे लेकिन आपके पास बाकि लोगों का संगठन होगा तो कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। आइये आपको इसका कुछ इतिहास बताते है।

जब बाबर और राणा सांगा में भयानक युद्ध चल रहा था , और बाबर ने पहली बार तोपों का उपयोग किया था , इस समय युद्ध केवल दिन में ही लड़े जाते थे। इस दौरान शाम होने के बाद दोनों पक्ष के सैनिक अपने – अपने शिविर में चले गए , और अपना भोजन तैयार करने लगे। तभी बाबर ने अपने दुश्मन सेना के शिविर की तरफ देखा , उसने देखा कि राणा सांगा के शिविर से कई जगहों से धुआं उठता हुआ दिख रहा है।

तब बाबर को लगा की सायद शिविर में आग लग गई। उसने अपने सेनापति मीरबांकी को बुला कर यह जानकारी लेने के लिए कहा की यह धुंआ कैसा उठ रहा है। तब उन्होंने गुप्तचरों को भेज कर जानकारी ली जिसे सुन कर बाबर खूब हंसा। सुचना ये थी की शत्रु सेना सब हिन्दू है , वे कभी एक साथ बैठ कर खाना नहीं खाते है , उनमे कई जाती के लोग है जो एक दूसरे का छुआ हुआ पानी तक नहीं पिटे है।

जिसे सुन कर वे खूब हँसे फिर बाबर को अपनी जीत निश्चित लगने लगी उसने कहा , ये हमसे क्या युद्ध करेंगे ? जो एक साथ बैठ के खाना नहीं खा सकते वे एक साथ दुश्मन से कैसे लड़ सकते है।बाबर ने एक दम सही कहा था 3 दिन बाद ही राणा सांगा की सारी सेना मारी गई इसके बाद बाबर ने मुग़ल की नीव रखी। यही कारण था भारत के गुलाम होने का।

यहां अनेक जाती धर्म के लोग निवास करते है , वे अपने उन सारे धर्मो का पालन करते करते अपने मानव धर्म को भूल ही जाते है। और संगठन के आभाव में भारत जैसे देश को इस तरह का संकट देखना पड़ता है।

अभी भी कुछ नहीं बदला है. जमाना भले ही आगे बढ़ गया है लोग चाँद पर पहुंच गए है लेकिन अभी भी भारत देश में छुआ छूत, जाती भेद – भाव विधमान है। कहते है दूध का जला हुआ छांछ भी फूक कर पीता है लेकिन भारत देश में सब कुछ खो देने के बाद भी लोगों को ये समझ नहीं आया की इन सबका मूल कारण क्या था ? और अभी भी लोग अपनी स्वनिर्मित परम्पराओं ही को निभाते आ रहे है।