नई दिल्ली. दुनियाभर के कई देशों में मंकीपॉक्स वायरस पैर पसार रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अबतक इस वायरस के करीब 500 मामले आ चुके हैं और 100 से ज्यादा संदिग्ध मिले है. जिन देशों में पहले कभी मंकीपॉक्स के केस नहीं आए हैं. इस बार वहां भी इसके केस मिल रहे हैं. हालांकि इस वायरस से अभी तक किसी भी संक्रमित की मौत नहीं हुई है, लेकिन इसके बढ़ते मामलों की वजह से किसी नई महामारी का खतरा बढ़ गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा पहली बार है जब मंकीपॉक्स के केस इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसलिए इस वायरस को हल्के में लेनी की गलती नहीं करनी चाहिए.
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के क्रिटिकल केयर विभाग के प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह ने Tv9 से बातचीत में बताया कि मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्क रहना चाहिए. धीरे-धीरे ये वायरस दुनियाभर में फैल रहा है. ऐसे में आशंका है कि आने वाले दिनों में इसके केस तेजी से बढ़ सकते हैं. भारत में भी मंकीपॉक्स के मामले आ सकते हैं. ऐसे में इससे बचाव के लिए सभी कदम उठाने होंगे. इस वायरस को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए.
डॉ. ने बताया कि मंकीपॉक्स वायरस चेचक की तरह ही है. इसके लक्षण भी लगभग वैसे ही हैं. 1980 में दुनिया को चेचक मुक्त घोषित किया गया था. उससे पहले भारत समेत दुनियाभर में इसके खिलाफ टीकाकरण किया गया था. अब चेचक के परिवार का ही मंकीपॉक्स वायरस फिर से फैल रहा है. ऐसे में जिन लोगों को चिकनपॉक्स का टीका लग चुका है वो मंकीपॉक्स से सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन युवाओं में ये वायरस फैल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि जो लोग मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके आए हैं उनकी खास निगरानी की जाए. अगर विदेश से आने वाले किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत आइसोलेट करें. जंगलों की यात्रा न करें और किसी बीमार जानवर के संपर्क में न आएं.
डॉ. ने बताया कि मंकीपॉक्स कोरोना वायरस की तुलना में कम गंभीर है. इसमें ज्यादाम्यूटेशन भी नहीं है. कोरोना की तरह मंकीपॉक्स में मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण के काफी कम मामले हैं. ऐसे में ये उतना खतरनाक नहीं होगा, जैसा कि कोविड था, लेकिन इस बार मंकीपॉक्स तेजी से फैल रहा है और WHO ने सभी देशों को इसके संक्रमित और संदिग्ध मामलों को रिपोर्ट करने को कहा है. इसलिए इस वायरस से बचाव के लिए सभी कदम उठाने होंगे.
मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे ही होते है. इसमें बुखार आने के साथ मांसपेशियों में दर्द भी होता है, तो क्या ऐसे में बुखार होते ही तुरंत मंकीपॉक्स की जांच करानी चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉ. युद्धवीर ने कहा कि इस मौसम में कई प्रकार की बीमारियों होती है. सभी में शुरुआती लक्षण बुखार आना ही होता है. इसलिए ये जरूरी नहीं है कि बुखार होते ही मंकीपॉक्स का टेस्ट कराएं. यह देखे की बुखार के एक या दो दिन बाद चेहरे पर दाने तो नहीं निकल रहे हैं या शरीर के किसी हिस्से में दाने तो नहीं है. अगर ऐसा कोई लक्षण दिख रहा है, तो तुरंत टेस्ट कराना चाहिए.इस स्थिति में खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए और परिवार में किसी भी सदस्य के संपर्क में नहीं आना चाहिए.
सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए एंटीवायरल डर्ग मौजूद है. साथ ही इसके खिलाफ वैक्सीन भी है. जिसका प्रोडक्शन कभी भी किया जा सकता है. इसलिए इस बात की आशंका नहीं है कि ये वायरस किसी महामारी का रूप लेगा. क्योंकि मंकीपॉक्स नया वायरस नहीं है. ये 60 साल से भी पुराना है. इससे केस पहले भी रिपोर्ट गए है और कभी भी इस वायरस ने गंभीर रूप नहीं लिया है.