नई दिल्ली। डीसीजीआई ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 6 से 12 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए मंजूरी दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है।
देश के तमाम स्कूलों में भी अब वैक्सीनेशन के लिए पात्र बच्चों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। स्कूल आने वाले बच्चों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि कोरोना से बचाव मुमकिन हो सके।
देश में बीते 16 मार्च से 12 से 14 साल की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था लेकिन अब वैक्सीनेशन का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है और सरकार की कोशिश है कि हर एज ग्रुप के बच्चों के वैक्सीन मुहैया कराई जाए।
बच्चों को वायरस से कितना खतरा?
एक्सपर्ट्स की ओर से बच्चों में कोरोना के लक्षण जल्द दिखने की बात कही गई है। अगर कोई बच्चा वायरस के XE वेरिएंट से संक्रमित है तो उसे पेट दर्द, बुखार, सूखी खांसी, नाक बहना, सिर दर्द जैसी शिकायत हो सकती हैं। लेकिन एक्सपर्ट ने ऐसी स्थिति में डरने की नहीं सतर्क रहने की सलाह दी है।
बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम मजबूत माना जाता है और ऐसे में संक्रमण की चपेट में आने के बाद भी बच्चों के लिए ज्यादा खतरा नहीं है। परिजनों को सिर्फ बच्चे के खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान देना होगा ताकि वायरस का मुकाबला मजबूती से किया जा सके।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बीते हफ्ते Corbevax वैक्सीन के भी इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश की थी। ये सिफारिश 5 से 11 साल के बच्चों के लिए की गई थी। हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल-ई की ओर से तैयार की गई कॉर्बेवैक्स कोरोना के खिलाफ देश की पहली स्वदेशी विकसित RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है।
देश में कोरोना के मामलों में फिर से उछाल देखने को मिला है. मंगलवार को भारत में कोविड-19 के 2,483 नए मामले सामने आने से कोरोना से अब तक संक्रमित हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 4,30,62,569 हो गई है। वहीं, इलाज करा रहे मरीजों की संख्या घटकर 15,636 रह गई है।