वीडियो : छत्तीसगढ़ के युवा ब्लेड रनर चित्रसेन साहू ने.. फतह की अफ्रीका की सबसे ऊंची पहाड़ी किलिमंजारो

रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार व् हीरा ग्रुप के सहयोग से छत्तीसगढ़ के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले एम्एम् फाउंडेशन के संस्थापक माउंटेन मैन राहुल गुप्ता के मार्गदर्शन में राज्य के ब्लेड रनर ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से पहचान बनाने वाले.. चित्रसेन साहू ‘अपने पैरों पर खड़े हैं’ मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो पर्वत फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया है.

दरअसल चित्रसेन साहू को छत्तीसगढ़ सरकार एवं मोर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा प्लास्टिक फ़्री अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. जिसके तहत श्री साहू द्वारा प्लास्टिक फ़्री अभियान का मेसेज किलीमंजारो पर्वत से दिया गया..

चित्रसेन साहू ने अफ्रीका महाद्वीप के तंजानिया देश के 5685 मीटर माउंट किलीमंजारो पर्वत में चढ़ाई कर 6 दिन मे फतह की है. इसी के साथ श्री साहू यह मुकाम हासिल करने वाले भारत के पहले डबल लेग अंपुटी बन गए हैं. इस पर्वतारोहण अभियान में छत्तीसगढ़ से ‘मांउटेन मेन’ राहुल गुप्ता ने उनके साथ-साथ पर्वत पर चढ़ाई की है..

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चित्रसेन पूरे देश और छत्तीसगढ़ राज्य के एकमात्र ऐसे युवा बन गए हैं जो डबल एंप्युटी होते हुए भी माउंट किलिमंजारो पर्वत की कठिन चढ़ाई पूरी की है.आखिरी दिन श्री साहू ने 12 घंटे की चडाई -5 से -10 डिग्री तापमान में धूल वाले ठंडी तूफान के बीच लगातार संघर्ष कर चढ़ाई पूरी की.. इस दौरान उनके पैर में भी कई चोटे भी आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.. उनके द्वारा उहरु चोटी तक पहुंचने का लक्ष्य था लेकिन समय अधिक होने, किलीमंजारो नेशनल पार्क के नियम तथा मौसम और रेस्क्यू को दृष्टिगत रखते हुए वहां के अधिकारियों ने आगे जाने के लिए मना कर दिया…

चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो… शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है बस जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की.. हम किसी से कम नहीं.. ना ही अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों करना,…हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान ज़िन्दगी जीने का हक चाहिए…

“अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन के पीछे हमारा एक मात्र उद्देश्य है सशक्तिकरण और जागरूकता, जो लोग जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना, उनके नाम के आगे से विकलांग, दिव्यांग शब्द को हटाना ताकि उन्हें समानता प्राप्त हो ना किसी असमानता के शिकार हो तथा बाधारहित वातावरण निर्मित करना और चलन शक्ति को बढ़ाना…

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