बीजिंग। एक रिसर्च में दावा किया गया है कि भीड़-भाड़ वाली और संकरी जगहों पर लोगों के पीछे तेजी से चलने पर कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने की आशंका सामान्य के मुकाबले काफी ज्यादा हो जाती है। अध्ययन के अनुसार जब संक्रमित व्यक्ति ऐसी जगहों पर चलता है तो उसके द्वारा पीछे छोड़ी गई श्वास की बूंदों में मौजूद वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। एक अन्य शोध में सामने आया है कि संक्रमण ठीक होने के 10 दिनों के तक मरीजों को सबसे ज्यादा ख़तरा होता है।
‘फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कंप्यूटर ‘सिमुलेशन’ के नतीजे दिए गए हैं जिसमें यह बताया गया है कि किसी स्थान का आकार किस प्रकार हवा में मौजूद संक्रमण को फैलने में मदद कर सकता है। इससे पहले किए गए अनुसंधान में शीशे, खिड़कियां और वातानुकूलन (एसी) से हवा के बहाव पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया था लेकिन अब बीजिंग स्थित चीनी विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों का कहना है कि उनके द्वारा किए गए सिमुलेशन में बड़ी और खुली जगहों पर शोध किया गया। अध्ययन के अनुसार यदि संकरी जगह में चल रहा कोई व्यक्ति खांसता है तो उसके श्वास से निकली बूंदें उसके शरीर के पीछे वैसी ही रेखाएं बनाती हैं जैसे पानी में नाव चलने पर बनती हैं। अध्ययन के अनुसार मुंह से निकली बूंदें घनी होकर हवा में बादल जैसा स्वरूप बना लेती हैं और व्यक्ति के शरीर से काफी दूर तक जाती हैं। अनुसंधानकर्ता शिआओली यांग ने कहा कि इससे संकरे मार्गों पर पीछे और आगे चल रहे लोगों विशेषकर बच्चों को संक्रमण का खतरा पैदा हो जाता है।
एक नए अध्ययन में यह कहा गया है कि कोविड-19 के मरीजों के लिए अस्पताल से छुट्टी मिलने के डेढ़ सप्ताह तक बहुत जोखिम रहता है और मरीजों के फिर से अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु की आशंका बनी रहती है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि हृदयाघात और निमोनिया के लिए अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों की तुलना में कोविड-19 के मरीजों के छुट्टी मिलने के अगले 10 दिनों में फिर से अस्पताल में आने या मृत्यु का 40 से 60 प्रतिशत तक अधिक खतरा होता है। शोध पत्रिका ‘जामा’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के अगले 60 दिनों में फिर से अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का खतरा उन दोनों रोगों के मरीजों की तुलना में कम हो जाता है।
अध्ययन में 132 अस्पतालों में कोविड-19 के लिए भर्ती हुए करीब 2200 लोगों को छुट्टी मिलने के बाद उनकी स्थिति का विश्लेषण किया गया। उनकी निमोनिया के लिए भर्ती हुए 1800 मरीजों और हृदयाघात के 3500 मरीजों की स्थिति से तुलना की गयी। शुरुआती दो महीने में अस्पताल से छुट्टी ले चुके कोविड-19 के नौ प्रतिशत मरीजों की मृत्यु हो गयी और करीब 20 प्रतिशत को फिर से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अध्ययन के लेखक और अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में महामारी विशेषज्ञ जॉन पी डूनेली ने बताया, ‘गंभीर रूप से बीमार लोगों और कोविड-19 के मरीजों की तुलना करने पर हमें पहले से दूसरे सप्ताह में बड़ा जोखिम नजर आया. यह अवधि किसी भी मरीज के लिए खतरनाक होता है।’