अम्बिकापुर
देश दीपक “सचिन”
दक्षिणी छत्तीसगढ़ जहा बाढ़ की चपेट में है तो प्रदेश के उत्तरी छोर मे बसा सरगुजा इलाका मे बारिश ना होना चिंता का विषय बना हुआ है.. आषाढ के महीने मे इस इलाके मे जंहा धान की फसल खेतो मे लहलहाने लगती थी , तो इस बार आषा्ढ के अंत तक बारिश ना होने के कारण किसानो के माथे मे चिंता की लकीर खिंच गई है। आलम ये है कि इंद्र देव को प्रसन्न करने अब लोगो पूजा अर्चना करने की तैयारी मे है…
मूलत खेती पर आधारित सरगुजा संभाग के किसान इस बार धान की खेती के लिए इंद्र देव की मेहरबानी का इंतजार कर रहे है, सरगुजा मे आषाढ की शुरुआत मे ही किसान खेतो की जुताई के साथ खेत मे धान की नर्सरी तैयार करने लगते थे , ताकि वो जुलाई तक धान की नर्सरी की खेतो मे रोपाई कर सके,, लेकिन इस साल जून के अंत तक बारिश की बूंद तरसते किसान ना ही ठीक से खेतो की जुताई कर पाए है और बारिश की बेरुखी के कारण किसान अब तक धान की नर्सरी तैयार कर पाने मे भी असफल रहे है। किसानो की माने तो हर साल इस समय तक खेतो मे धान की नर्सरी तैयार कर ली जाती थी , लेकिन इस बार बारिश ना होने के कारण किसानो के सामने मुसीबत के साथ परिवार चलाने की चुनौती पैदा हो गई है..
कृषि मौसम विभाग के मुताबिक 20 जून के आस पास मानसून सरगुजा पंहुच गया था, लेकिन फिर यंहा से टकराकर वो झारंखड की ओर चला गया , जिस कारण एक दो दिन बूंदा बांदी के बाद बारिश नही हो सकी है.. हालाकि कृषि मौसम वैज्ञानिको ने बंगाल की खाडी में कम दबाव के क्षेत्र बनने के कारण आने वाले दिनो मे मानूसनी बारिश होने की संभावनाए व्यक्त की है.. और किसानो को लंबी अवधि की धान लगाने की सलाह दी है….
अब तक सरगुजा के खेतो मे धान की नर्सरी हरियाली के रुप मे बिखरी नजर आती थी,, लेकिन जून महीने मे बारिश ना होने के कारण किसान इस बात को लेकर आशंकित है, कि कंही शुरुआती बारिश मे अगर धान की नर्सरी लगा दी गई और फिर इंद्रदेव जुलाई मे भी नाराज रहे तो उनकी पूंजी बर्बाद जाएगी … बहरहाल कृषि मौसम विभाग ने आने वाले दिनो मे बारिश के संभावना जता कर किसानो के माथे की लकीरो को थोडा तो कम किया है….