वीडियो : जिस संभाग में होनी चाहिए डॉक्टरों की फ़ौज.. वहां डॉक्टरों की इतनी कमी.. कोसों दूर जाकर कराना पड़ता है इलाज़

अम्बिकापुर. सरगुजा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे थी और अब भी भगवान भरोसे है. यहां स्वस्थ्य व्यवस्थाओं के नाम पर कई मॉडल अस्पताल बना दिए गए हैं.. लेकिन आलम ये है कि अस्पतालों में डॉक्टर की कमी के कारण इंसान की जिंदगी भी भगवान भरोसे होती है.. ये हमारी रिपोर्ट नहीं बल्कि कुछ लोगो की केस स्टडी और खुद जिम्मेदार प्रबंधन के लोग बोलते हैं.

आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर मे कुछ वर्ष पहले मेडिकल कॉलेज की सौगात इसलिए दी गई थी.. क्योकिं गंभीर बिमारी के इलाज़ के लिए गरीब औऱ कमजोर आय वर्ग के लोगो को महानगरों में दर दर की ठोकर ना खाना पडे.. कुछ हद तक ऐसा हुआ भी.. लेकिन जिले के अधिकांश सामुदायिक औऱ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के साथ उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत ऐसी है.. कि वहां विशेषज्ञ डाक्टरो की पदस्थापना को लेकर ना ही स्वास्थ्य महकमा गंभीर है औऱ ना ही जिला प्रशासन.. इस मामले की पडताल के दौरान जिले के लखनपुर मे राम साय नाम का व्यक्ति अपनी बीबी और बच्चो के साथ मिला.. जो जिले के उदयपुर ब्लाक के दूरस्थ ग्राम बकोई का रहने वाला है. दरअसल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के गोद गांव बकोई का राम साय अपने 10 महीने के बच्चे मनीष के इलाज के लिए पहले किसी तरह गांव से 35 किलोमीटर दूर उदयपुर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पहुंचा.. लेकिन वहां पर चाईल्ड स्पेशलिस्ट नहीं होने के कारण उसके परिजन उसके इलाज के लिए गांव से 55 किलोमीटर दूर लखनपुर ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र आना पडा.

वैसे 55 किलोमीटर दूर लखनपुर पहुंचने के बाद विशेषज्ञ डाक्टर ने 09 महीने के बच्चे का इलाज किया.. पर कोरोना काल मे अपने 09 माह के बच्चे को सडक किनारे लेकर बैठे ये पहले और अंतिम मां बाप नहीं होगें.. क्योकिं उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे विशेषज्ञ डाक्टर के ट्रांसफर के बाद आज तक कोई दूसरा रिलिवर डाक्टर वहां नहीं भेजा गया है.. जिसके कारण उदयपुर विकासखण्ड के दूर दराज मे बसे दर्जनो गांव वासियो को रोज ऐसी ही मुश्किलो का सामना करना पडता है. ऐसा दुधमुहे मनीष के परिजन औऱ हमारी खबर ही नहीं.. बल्कि जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी खुद मानते हैं.

जिले के सीएमएचओ को अपनी भूल को सहजता से स्वीकार कर लेना बडे अच्छे ढंग से आता है.. पर इनकी गलती जब तक इनको बताई ना जाए.. तब तक इनको ये भी अहसास नहीं होता है कि चूक हुई है. बहरहाल जिले के उदयपुर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के साथ कई ऐसे शासकीय हेल्थ सेंटर हैं. जहां विशेषज्ञ डाक्टरो के आभाव के कारण आज भी आदिवासी बाहुल्य जिले के गरीब औऱ असहाय लोगो को दर दर की ठोकर खाना पड रहा है.

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