बीस वर्षो से झोपडी में संचालित हो रहा सरकारी स्कूल
अम्बिकापुर बीस साल से किराए के भवन में चल रहा है एक सरकारी स्कूल.. और इन बीस वर्षो में यह भवन खँडहर में तब्दील हो चुका है..आलम यह है की सांप, बिच्छू, चूहे, मेंढक और छिपकली के डर के साये में बच्चो को पढ़ना पड़ रहा है..एसा नहीं है की शासन ने यहाँ स्कूल भवन नहीं बनवाया.. स्कूल भवन का निर्माण शुरू किया गया था लेकिन आज तक भवन अधूरा पडा हुआ है..
सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र के ग्राम घटगाँव में सरकारी स्कूल 1997 से किराए की झोपडी में संचालित किया जा रहा है.. आलम यह है की बरसात से बचने का भी कोई जुगाड़ नहीं है.. ना ही इस झोपडी में दरवाजा है और ना ही छत, स्थानी मीडिया के हस्ताक्षेप के आड़ घास फूंस से इस झोपडी की छत तो बना दी गई है लेकीन बरसात के पानी को यह छत नहीं रोक पायेगी.. और तब शायद स्कूल में पढ़ाई भी बंद हो जाए..
एक तो झोपडी वो भी किराये की जिसमे स्कूल संचालित है.. वही किराए की इस झोपडी का किराया भी कई सालो से नहीं दिया गया है.. इस स्कूल में खाना बनाने का काम करने वाले महिला ही इस झोपड़ी की मालिक है..जिन्हें किराया नहीं दिया गया है.. गाँव में शिक्षा के स्तर का सुधार किसी स्वप्न से कम नहीं है क्योकी यह स्कूल भवन सिर्फ भवन विहीन ही नहीं है गाँव में आने जाने का रास्ता, पीने का पानी, बिजली भी नहीं है..
नाकामियों की हद पार करते क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी से जब इस रिपोर्ट पर सवाल किये गए तो उन्होंने पहले तो कहा की मै यहाँ काम करने आया हूँ आपके सवालो का जवाब देने नहीं.. मुझे काम करने दीजिये.. फिर उन्होंने कहा की अधूरा पडा स्कूल भवन बन जाएगा बाकी मै कुछ नहीं बता सकता..
पर साहब सवाल तो यही है की आखिर बीस साल तक आप कौन सा ऐसा काम कर रहे थे की इस स्कूल पर आपकी नजर नहीं पडी… आपने ऐसा कौन सा महारथ हासिल कर लिया की तीन साल से अधूरे पड़े स्कूल भवन का ख़याल आपको नहीं है.. आपको बता दे की यह वही गाँव है जहाँ के बच्चे लालटेन की रोशनी में भी पढ़ते है.. बिजली नहीं है पर छात्रो के पास पढ़ाई का जज्बा है,, और वो अँधेरे में लालटेन जलाकर पढ़ते है..लेकिन शायद सरकार के नुमाइंदो को कागजो में डिजिटल इंडिया की इबारत लिखने से ही फुरसत नहीं..