अम्बिकापुर। एक तरफ़ प्रदेश के कई धान खरीदी केंद्रों में जमा धान का उठाव नहीं होने से जाम की स्थिति बनी हुई है। किसान धान खरीदी केंद्रों में टोकन लेने पहुंच रहे है तो समिति द्वारा उन्हें बारदाने की कमी अथवा धान उठाव नहीं होने से जाम का हवाला देकर वापस लौटा दिया जा रहा है। लेकिन सरगुजा के एक किसान की समस्या इन सबसे अलग है। यहां एक पटवारी ने जीवित किसान को मृत घोषित करवा दिया है। जिसको लेकर किसान ने स्वास्थ्य मंत्री से न्याय की गुहार लगायी है।
दरअसल, सीतापुर क्षेत्र के पोकसरी निवासी चैनसाय धान बेचने के लिए धान ख़रीदी केंद्र नहीं, बल्कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो गया है। पीड़ित किसान चैनसाय ने बताया कि वह 2016 में धान का पंजियन धान विक्रय केन्द्र सेदम करवाया था। तब से 19 फरवरी 2020 तक लगातार धान विक्रय किया। लेकिन इस साल उसे मृत बताकर धान पंजीयन लिस्ट से हटा दिया गया है और धान खरीदी केंद्र में धान टोकन काटने से मना कर दिया गया।
पीड़ित किसान के मुताबिक़ उसने कृषि कार्य करने के लिए सहकारी बैंक बतौली से ऋण भी लिया गया है। लेकिन धान नहीं बिकने से उसके सामने कर्ज चुकाने की बड़ी परेशानी सामने आ गयी है।
ग़ौरतलब है कि सरगुज़ा में जीवित किसानों को मृत बताने का यह पहला मामला नहीं है। जिसकी वजह से किसान धान नहीं बेच पा रहे है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके है। आखिर शासन-प्रशासन ऐसी गलती करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर मेहरबान क्यों है।