शहर मे कैंसर की तरह फैल रहा है अवैध प्लाटिंग एवं कॉलोनियों का कारोबार…कॉलोनाइजरों के खिलाफ हो कार्यवाही…नगरपालिका क्षेत्र में अवैध कॉलोनी निर्माण का सिलसिला लगातार जारी…

जांजगीर-चांपा। नगरपालिका क्षेत्र में अवैध कॉलोनी निर्माण का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। प्रत्येक वर्ष कई कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है। उन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अवैध प्लाटिंग करने वालों द्वारा सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराने का प्रलोभन भी दिया जा रहा है। कॉलोनी के प्लाट बिकने के बाद उन्हें सुविधाएं नहीं दी जा रही है। ऐसे ही नगर में बहुत सी कॉलोनियों को निर्माण हो चुका है। जिसमें से एक भी कॉलोनी वैध नहीं है। बेचने के समय इन अवैध कालोनाइजरों की नजरों के द्वारा ऊंची कीमत पर प्लाट बेच दिए जाते हैं किंतु उन्हें सुविधा के नाम पर ठगा जाता है। प्लाट बेचने के पूर्व उन्हें गार्डन,सड़क, नाली ,स्कूल ,बिजली, पानी तथा मंदिर इत्यादि की सुविधा बताकर प्लाट काटकर बेचे जाते हैं किंतु सुविधा के नाम पर किसी भी प्रकार का कोई काम कालोनियों में नहीं कराया जाता। ऐसे अवैध काम करने वालों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। नगर पालिका अधिकारी का इस संबंध में कहना है कि नगर में गिने चूूने ही वैध कॉलोनी है। बाकी जो भी प्लाटिंग कर कालोनी बना रहे है वह अवैध हैं।

कॉलोनाइजर एक्ट में एक भी लाइसेंस नहीं हुआ है जारी…

कॉलोनाइजर एक्ट के तहत किसी भी कॉलोनाइजर ने लाइसेंस नहीं लिया है। अवैध रूप से चलने वाले कालोनियों के बीच भी नगरपालिका के द्वारा सड़क बनाई जा रही है। आज पर्यंत तक एक भी अवैध रूप से कॉलोनी का निर्माण करने वाले कॉलोनाइजर के विरुद्ध प्रकरण दर्ज नहीं हो पाया है। जबकि नगर के कई क्षेत्रों में दर्जनों कॉलोनियां बसाई जा रही हैं। जब नगर पालिका खुद मान रही है कि उनके द्वारा कालोनियों के लिए एक भी लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं तो फिर आखिरकार क्यों नगर पालिका के द्वारा वहां अपने लाखों रुपए खर्च करके नाली और सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। चंापा नगर की बात करे या जांजगीर शहर की जिले में हर उन जगहो पर ऐसे लोगो को प्रलोभन देकर नये -नये तरीके से जमीन की ब्रिकी कर रहे जो नियम के विरूध है। जांजगीर चांपा जिले में जमीन दलाल है वो किसानो से जमीन औने पौने दामो मे खरीद कर प्लाटिंग कर जरूररतमंदो को बेच रहे है . बाद मे जब नियम कानून की बात आती है तो खरीदार उलझन मे फस जाता है। जांजगीर में बड़ी नगर के लगी खेती भूमि को भी लोग अब नही छोड़ रहे है।