कुपोषण के खिलाफ जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों की सुपोषण आर्मी करेगी कार्य

80 ग्राम पंचायतों में चलेगा यह अभियान 

जशपुर (तरुण प्रकाश शर्मा) जिले में कुपोषण का अंत करने के लिए सुपोषित जशपुर महा अभियान की शुरूआत की गई है। इस अभियान के तहत जिले में प्रारंभिक तौर पर 80 ऐसी ग्राम पंचायतें चिन्हांकित की गई हैं, जहां बच्चों में कुपोषण की दर अधिक है। इन पंचायतों में इस अभियान के तहत सुपोषण आर्मी कुपोषण का अंत करने का कार्य करेगी। कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला की अध्यक्षता में बुधवार को जिला कार्यालय के सभाकक्ष में इस अभियान की शुरूआत की गई। इस अभियान के शुभारंभ के लिए कलेक्टर ने जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों को अनुरोध पत्र सौंपा। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने इस महा अभियान को सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। कलेक्टर के आग्रह पर जनप्रतिनिधियों ने सामाजिक भोज के अवसर पर सबसे पहले कुपोषित बच्चों को भोजन कराने की बात कही। जनप्रतिनिधियों ने इस अभियान पर अपने विचार भी व्यक्त किए। जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों को कलेक्टर द्वारा अभियान की सफलता और कुपोषण का अंत करने के लिए शपथ दिलाई गई।

 

कलेक्टर ने कहा कि सुपोषित जशपुर महा अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जनप्रतिनिधियों और पालकों के साथ माह में एक बार वे भोजन करेंगी। कलेक्टर ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों से कहा कि सुपोषण की शुरूआत गर्भवती माताओं के पोषण से होती है। उन्होंने सुपोषण प्रबंधन के तहत बच्चों को दिए जाने वाले आहार, बढ़ती उम्र के साथ सुपोषण, टीकाकरण और स्वच्छता पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि सुपोषण आर्मी के रूप मे ंजनप्रतिनिधि और कर्मचारी मिलकर कार्य करेंगे और कुपोषण के खिलाफ जंग जीतेंगे। बैठक में कई जनप्रतिनिधियों और महिला बाल विकास विभाग के सुपरवाईजरों के द्वारा सुपोषण के लिए नवा जतन में किए गए प्रयासों को साझा किया।
इस अवसर पर ग्राम पंचायतवार मध्यम कुपोषित और गंभीर कुपोषित बच्चों की जानकारी देते हुए उन्हें सुपोषण के स्तर पर लाने के प्रबंधन की जानकारी विस्तार से बैठक में दी गई। बैठक में बताया गया कि सुपोषण से अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है। सुपोषण प्रबंधन में स्थानीय सब्जी-भाजी, फलों का उपयोग, पूरक आहार में विटामिन और अन्य पोषक तत्व, पोषण बढ़ाने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया। बढ़ती उम्र के साथ आहार, बच्चे के वजन की निगरानी, बीमारियों से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण की जानकारी दी गई।

बैठक में बताया गया कि जिले में पहले से हर बुधवार को प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में हेल्थ वेडनेसडे मनाया जाता है। इसमें कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य की जांच डॉक्टरों के द्वारा की जाती है। उन्हें निशुल्क दवा दी जाती है। इस दिन उन बच्चों को दूध, अण्डा और केला दिया जाता है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया जाता है। बैठक में जिला पंचायत सीईओ दीपक सोनी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्रीमती नेहा राठिया, जनपदों और ग्राम पंचायतों के पदाधिकारी, सदस्य, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य विभाग के सुपरवाईजर उपस्थित थे।

कलेक्टर ने सौंपा अनुरोध पत्र

कलेक्टर ने जिन क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या है, वहां के जनप्रतिनिधियों को अनुरोध पत्र सौंपा। उन्हांेने अपने पत्र में लिखा है कि कुपोषण की समस्या एक गंभीर और चुनौतीपूर्ण समस्या है, जिसे दूर करने के लिए शासन और प्रशासन स्तर से निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सामुदायिक सहभागिता और संकल्पित सामूहिक प्रयास के बिना इस समस्या को समाप्त करना संभव नहीं है। कलेक्टर ने समाज से कुपोषण की समस्या को जड़ से समाप्त करने में सहयोग प्रदान करने और सुपोषित जशपुर महा अभियान को सफल बनाने में योगदान करने की अपील की है।