कलेक्टर की ड्रीम प्रोजेक्ट में करप्शन..अब अधिकारी कर रहे सूचना बोर्ड पोल और घेराव के लिए तार की सप्लाई..

  • कलेक्टर का ड्रीम प्रोजेक्ट भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं…
    सूरजपुर – शौचालयों के ढक्कन और दरवाजे की सप्लाई के बाद अब प्रतापपुर विकासखण्ड में डबरियों और हरिहर डबरियों के लिए बोर्ड,पोल और घेराव के लिए तारों की सप्लाई अधिकारी कर रहे हैं। पंचायतों के एजेंसी होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा की जा रही सप्लाई के बदले इनकी लागत का कई गुना ज्यादा राशि वसूल की जा रही है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद सीईओ की देखरेख में बोर्ड और पोल का निर्माण और सप्लाई की जा रही है,कलेक्टर के ड्रीम प्रोजेक्ट के बावजूद सप्लाई के नाम पर भ्रष्टाचार पर जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
    गौरतलब है कि जल संरक्षण के उद्देश्य से सूरजपुर कलेक्टर देव सेनापति के निर्देश पर पूरे जिले में बड़े पैमाने पर डबरियों का निर्माण कराया जा रहा है,इसी तरह प्रतापपुर ब्लॉक में भी इनका निर्माण हो रहा है जो एक पंचायत में पच्चीस से तीस की संख्या में हैं। मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक पंचायत में एक डबरी का चयन कर उसे हरिहर डबरी का रूप देना है जिन्हें तार और पोल से घेराव के लिए करीब एक लाख सत्तर हजार रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।डबरी और हरिहर डबरी के निर्माण के लिए निर्माणा एजेंसी ग्राम पंचायत है जिन्हें इनका पूरा काम करना है लेकिन इसके विपरीत ब्लॉक के अधिकारियों ने इन्हें कमाई का जरिया बना लिया है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद सीईओ राजेश सिंह सेंगर की देखरेख में बोर्ड,पोल और तारों का निर्माण और सप्लाई पंचायतों में कई जा रही है तथा इनके बदले लागत से कई गुना ज्यादा राशि वसूली जा रही है।मिली जाहकारी के अनुसार डबरियों में लगने वाले सूचना बोर्ड के लिए स्टीमेट में करीब पांच हजार रुपये का प्रावधान किया गया है जिनका निर्माण सीईओ की देखरेख में कुछ चयनित और करीबी सचिवों द्वारा कराया जा रहा है,इनके द्वारा कराए जा रहे निर्माण में प्रति सूचना बोर्ड की लागत एक हजार से भी कम आ रही है और पंचायत से वसूली पूरे पांच हजार की हो रही है।इसी तरह हरिहर डबरी के घेराव के लिए इनके द्वारा बनाये जा रहे सीमेंट के पोल में लागत करीब दो सौ रुपये की आ रही है और पंचायतों को करीब चार सौ रुपये प्रति पोल का भुगतान करना पड़ रहा है,डबरियों को घेरने के लिए तार की खरीदी भी इन्हीं के द्वारा कर पंचायतों में   दी जा रही है और मूल लागत से कहीं ज्यादा की वसूली की जा रही है। पूर्व में शौचालयों के लिए ढक्कनों और दरवाजों की सप्लाई कर चुके जनपद के अधिकारी अब बिना हिचक सूचना बोर्ड,पोल और तारों की सप्लाई कर रहे हैं,मूल लागत का कई गुना ज्यादा वसूली कर जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं जबकि डबरी और हरिहर डबरी कलेक्टर देव सेनापति के ड्रीम प्रोजेक्ट हैं ।मिली जानकारी के अनुसार सीईओ के दबाव में एसडीओ आरईएस और अब इंजीनियर भी इनका मूल्यांकन करने बाध्य हो गए है।
  • पंचायत कर रही फर्जी रिकॉर्ड का संधारण

पंचायतों को डबरी और हरिहर डबरियों का निर्माण एजेंसी बनाया गया है,इस लिहाज से सूचना बोर्ड और पोल का निर्माण भी उन्हें ही कराना है। सीईओ के दबाव में उन्हें इनकी खरीदी करनी पड़ रही है,चूंकि पंचायतें इनका निर्माण स्वयं न करा खरीद रही हैं इसलिए उन्हें इनके निर्माण से सम्बंधित सामग्री का कार्य,मजदूरी आदि का फर्जी रिकॉर्ड का संधारण करना पड़ रहा है जो भविष्य में उनके लिए मुसीबत बन सकता है।

  • कहने को तो कलेक्टर का ड्रीम प्रोजेक्ट लेकिन भ्रष्टाचार से अछूता नहीं

सूरजपुर जिले में डबरी और हरिहर डबरी कलेक्टर का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसे सफल बनाने कलेक्टर ने पूरी ताकत भी झोंक दी है लेकिन जनपद के अधिकारियों ने उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को भी ठेंगा दिखा कमाई का जरिया बना लिया है। इनमें लगने वाले सूचना बोर्ड,पोल और तारों की सप्लाई कई गुना ज्यादा कीमत पर कर जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।हालांकि सप्लाई से पहले भी डबरियों का निर्माण मशीनों आए कराने और फर्जी मस्टररोलों का संधारण कर घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की बातें सामने आ चुकी हैं किंतु खुद के ड्रीम प्रोजेक्ट होने के बावजूद इनके निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार पर कलेक्टर की चुप्पी उनकी भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा रही है।

वही इस समूचे मसले पर प्रतापपुर जनपद पंचायत के सीईओ का कहना है..की इस ड्रीम प्रोजेक्ट की कार्य एजेंसी ग्राम पंचायते ही है..लेकिन ग्राम पंचायतों ने उक्त कार्य को करने में असमर्थता जताई थी..जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में कार्य को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप किया गया है…