दिन विशेष: जनप्रतिनिधि, अधिकारी, ठेकेदार सभी ने जिले को समझा चारागाह…आए चरे और चलते बने.. विकास के नाम पर कोसो दूर जांजगीर-चांपा जिला…!

जांजगीर-चांपा (संजय यादव)… आज जांजगीर-चांपा जिले का 26 वॉ स्थापना दिवस हैं. जिस रफ्तार से 26 साल बाद जांजगीर-चांपा जिले का विकास होना था उस रफ्तार से विकास नहीं हो पाया है. यहां के लोगों का दुर्भाग्य कहे कि अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं ठेकेदार सभी ने जिले को चारागाह समझा, आए चरे और चलते बने. प्रदेश में सबसे समृद्ध जिला होने के बावजूद यहां डेवलपमेंट का काम अपेक्षाकृत नहीं हो पाया हैं. जिले को 100 करोड़ सालाना DMF फंड से मिलता है बावजूद यहां विकास कार्य नहीं के बराबर दिखाई देता हैं. आज जिले को बने 26 वर्ष बीत गए लेकिन स्थिति ज्यों का त्यों बना हुआ हैं. विकास के नाम पर बड़े-बड़े पावर प्लांट स्थापित जरूर हो गए हैं. लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं के बराबर मिला हैं. यहां डेवलपमेंट के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ हैं.

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शिक्षा की बात करें तो न तो ढंग का महाविद्यालय हैं न ही यहां अच्छे से खेल मैदान हैं. बना भी है तो दोनों की स्थिति जर्जर हैं. जिसके चलते यहां के खिलाड़ियों को खेल के लिए तरसना पड़ता है. स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो इंसान जिला अस्पताल जाने से पहले भगवान को जरूर याद करता है कि वह सही सलामत वापस घर आ जाए. यहां टेक्निकल शिक्षा के संस्थाएं नहीं होने के कारण दीगर जिला छात्र-छात्राओं को पलायन करना पड़ता हैं. 26 साल के बाद भी यहां न तो एक इंजीनियरिंग कॉलेज खुल पाया है, न हीं अभी तक मेडिकल कॉलेज को कोई स्वरूप मिल पाया हैं. यहां के लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी यहां हैंडलूम कॉलेज का स्थापना होना, लेकिन दुर्भाग्य ही कहे वहां की हालात भी जर्जर स्थिति में हैं. जांजगीर चांपा जिले में पर्यटन स्थल के रूप में शिवरीनारायण, क्रोकोडाइल पार्क, दल्हा पोड़ी, कुदरी बैराज, खरौद, कई अच्छे पर्यटन स्थल है लेकिन देखरेख के अभाव के कारण वहां की भी स्थिति ठीक नहीं है. जिले में दर्जनों पावर प्लांट खुले लेकिन रोजगार के बदले लोगों को सिर्फ प्रदूषण मिला. रोजगार के नाम पर जिले वासियों को छलावा के अलावा कुछ नहीं मिल पाया हैं.

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यहां के अधिकारीयो,जनप्रतिनिधियों के गैर जिम्मेदारआना रवैया के चलते जिला सबसे पिछड़ा हुआ हैं. जिले में रेल सुविधाओं की बात करें तो रेल स्टॉपेज के साथ रेलवे स्टेशन में कोई सुविधाये नही हैं. यहां की बस स्टैंड की हालत बत से बत्तर हैं. जिला मुख्यालय के नाम से कलेक्टर कार्यालय जरूर खुल गया है, यहां जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ अपनी नौकरी करने आते हैं और एक समय के बाद चले जाते हैं. यहां अधिकारीयो सिर्फ अपने जेब भरने की चिंता रहती हैं. छत्तीसगढ़ प्रदेश में सबसे ज्यादा पसंद अधिकारियों के लिए जांजगीर चांपा जिला है, प्रशासनिक अधिकारी के अलावा पुलिस अधिकारी भी जहां आने के लिए बड़ी बोली लगाते हैं. इसलिए जांजगीर-चांपा जिला अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं ठेकेदारों के लिए एक चारागाह से कम नहीं हैं.

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