इस अभ्यारण में हुआ साम्हर व नीलगाय का शिकार.. अवशेष की गंध 5 दिनों बाद बन अमले की नाक में जाने पर आया होश..

रायगढ़. जिले में स्थित गोमर्डा अभ्यारण्य में एक साम्हर व नीलगाय का शिकार का मामला सामने आया है. पिछले करीब चार से पांच दिन पूर्व अभ्यारण्य में शिकारियों द्वारा करंट से इन जीवों शिकार किया गया. जिसका पता वन विभाग को तब पता चला जब इन जानवरों के अवशेष सड़ने लगे थे आज इसकी गंध चारों तरफ फैल रही थी. जिसके बाद मामले में जांच शुरू की गई और एक शिकारी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है.

फिलहाल मामले में आगे की कार्रवाई जारी है. इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक गोमर्डा अभ्यारण्य के सारंगढ़ सर्किल के बटाउपाली बीट के कक्ष क्रमांक 932 पीएफ में किसी वन्यप्राणियों के सड़ांध की बदबू दूर तक जा रही थी. जब इसकी जानकारी वन अमले को लगी, तो उसकी जांच की गई, तब पता चला कि एक साम्हर व एक नीलगाय का आधा अवशेष पड़ा हुआ है और प्रारंभिक जांच में यह बात स्पष्ट हुआ कि करंट से नीलगाय व साम्हर का शिकार किया गया है. इसके बाद मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई. जहां विभाग के द्वारा मामले में जांच शुरू करने निर्देशित किया गया और बिलासपुर से डॉग स्क्वायड को बुलाया गया.

घटना स्थल में जांच शुरू की गई, तो डॉग सूंघते हुए कांदुरपाली में रहने वाला त्रिलोचन उर्फ पप्पू के घर घुस गया. जहां जांच करने पर करंट के लिए बिछाए गए तार जब्त करते हुए उसे हिरासत में लिया गया. बताया जा रहा है कि एक साथ दो वन्यप्राणियों का शिकार किया गया और उनका आधा अवशेष वहां नहीं था, तो इससे आशंका जतायी जा रही है कि उसे शिकारियों के द्वारा अपने साथ बिक्री या खाने के लिए ले जाया गया हो. बताया जा रहा है कि वन्यप्राणियों का शव लगभग चार से पांच दिन पुराना था और आधा ही अवशेष वहां पड़ा था, जो सड़ गया था और उसके सड़ांध के कारण ही घटना की जानकारी हो सकी. फिलहाल मामले में आरोपी के खिलाफ अपराध कायम कर न्यायालय में पेश किया गया है और मामले को विवेचना में लिया गया है.

इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि इतने दिनों तक वन कर्मियों को इस मामले पता भी नहीं चला. जानकारों का कहना है कि हर बीट में एक परिसर रक्षक पदस्थ है और उनकी मानिटारिंग के लिए डिप्टी रेंजर व रेंजर होते हैं, पर गोमर्डा अभ्यारण्य में एक साथ दो वन्यप्राणियों का शिकार हो जाता है और उनका शव लगभग चार से पांच दिनों तक जंगल में ही पड़ा रहता है, पर संबंधित बीटगार्ड से लेकर डिप्टी रेंजर तक को पता नहीं चल पाता है. इससे यह माना जा रहा है कि गोमर्डा अभ्यारण्य में जंगल भ्रमण के नाम पर विभागीय कर्मचारी पर खानापूर्ति कर रहे हैं.