रायपुर.. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के नियोनेटोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की निगरानी में धमतरी और दुर्ग की कोविड-19 पॉजीटिव दो महिला रोगियों ने क्रमशः तीन और दो बच्चों को जन्म दिया है। पांचों बच्चे एनआईसीयू में विशेषज्ञों की निगरानी में रखे गए जिनमें से दो को मां के पास वापस भेज दिया गया है.. जबकि तीन बच्चे अभी भी एनआईसीयू में चिकित्सकों की सतत् निगरानी में है। कोविड-19 पीड़ित महिला के तीन नवजात शिशुओं के प्रसव का एम्स में यह पहला मामला है।
धमतरी निवासी 28 वर्षीय महिला मध्यम वर्ग की है। यह और इनके पति दोनों ही सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों की देखरेख में इस महिला का 33 सप्ताह का प्री मैच्योर प्रसव 18 अक्टूबर को हुआ, जिसमें तीन बच्चे हुए। तीन बच्चों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाकर उनका उपचार करना चुनौतीपूर्ण था.. मगर एम्स के चिकित्सकों ने इसे स्वीकार करते हुए तीनों को निरंतर विशेषज्ञ उपचार प्रदान किया। लगभग पांच दिनों तक तीनों बच्चे एनआईसीयू में रहे जिनमें से दो को ठीक होने के बाद वापस मां के पास भेज दिया गया.. जहां पूर्ण सुरक्षा के साथ बच्चों की देखरेख की जा रही है। एक बच्चा अभी भी एनआईसीयू में है। इन बच्चों को लगातार वेंटीलेटर और आक्सीजन की आवश्यकता पड़ी। एनआईसीयू के चिकित्सकों ने ही इनकी पूरी देखरेख की। तीनों बच्चों की पहली कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आई है। सुरक्षा के मद्देनजर इन बच्चों का अभी रिपीट टेस्ट बाकी है।
इसी प्रकार एक अन्य केस में 33 वर्षीय कोविड-19 पॉजीटिव महिला ने 19 अक्टूबर को जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इस महिला का प्रसव 33 सप्ताह का था। इन बच्चों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाते हुए उपचार प्रदान किया गया। बच्चों को फेफड़े संबंधी दिक्कतें हैं जिन्हें एनआईसीयू में एडमिट कर निरंतर उपचार प्रदान किया जा रहा है। इनकी कोविड-19 की रिपोर्ट अभी लंबित है।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने इसके लिए एनआईसीयू के इंचार्ज डॉ. फाल्गुनी पाढ़ी को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार के चुनौतीपूर्ण केसों को स्वीकार करके सभी ने अपनी विशेषज्ञता को सिद्ध किया है। प्रो. नागरकर ने बताया कि एनआईसीयू में सभी सुविधाओं से युक्त 20 बिस्तर हैं। इनके अलावा दो बिस्तर कोविड-19 पॉजीटिव बच्चों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। कोविड-19 के दौरान एनआईसीयू के चिकित्सकों ने जिस प्रकार विशेषज्ञ उपचार प्रदान किया है वह निःसंदेह प्रशंसनीय है।
एनआईसीयू में इन बच्चों की देखरेख में डॉ. श्रीकृष्ण, डॉ. नीलकांत सेन, डॉ. मजहर हुसैन, डॉ. योगेश अग्रवाल, डॉ. पॉलमी, डॉ. जूलियट, डॉ. प्रतीक, डॉ. अक्षा और डॉ. श्वेता का योगदान रहा।