कोंटा ले लेके कोरिया अउ नांदगांव लेके जसपुर तक जंगल, खनिज, नदिया, पहाड़ के प्राकृतिक सुंदरता, मन्दिर-देवाला के प्राचीन संस्कृति ला अपन मा संजोये हमर छत्तीसगढ़ प्रदेस आज बीस बछर के हो गे हावे।
आज देसभर मा हमर छत्तीसगढ़ के अलग पहिचान हे। कई उपलब्धि हासिल कर डरे हन अउ कई ठन करना हावे।
प्रदेसवासी मन संग देस-विदेस म फैले छत्तीसगढ़ महतारी के मेहनती, करमठ, मयारुक, गुरतुर-मीठ भाँखा के बोलईया लइका-जवान-सियान मन ल राज स्थापना दिवस के गाड़ा-गाड़ा बधाई।