CG News: डॉक्टरों ने किया ‘राइट टू हेल्थ’ कानून का विरोध, बिल वापस न लेने पर देश भर के डॉक्टर उतरेंगे सड़को पर

रायपुर. IMA रायपुर के सदस्यो ने आज कलेक्टर को ज्ञापन सौपा। राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए राइट टू हेल्थ कानून 2023 के विरोध में ज्ञापन सौपा है। राजधानी के डॉक्टर काली पट्टी बांधकर कलेक्टर ऑफिस पहुंचे औऱ राजस्थान सरकार के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया। IMA के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने इस बिल को गैर कानूनी बिल बताया और राइट टू हेल्थ बिल को अगले विचार-विमर्श तक लागू होने से रोकने की अपील की। राजस्थान सरकार द्वारा बिल वापस न लेने पर देश में चिकित्सक हड़ताल भी करेंगे। ज्ञापन के माध्यम से जानकारी देते हुए डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि पूरे भारतवर्ष का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत समुदाय राजस्थान में पास हुए राइट टू हेल्थ बिल 2023 को लेकर चिंतित है और बिना विचार-विमर्श जल्दबाजी में लाए गए इस गैरकानूनी बिल का प्रतिरोध करता है।

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इस बिल में सभी मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने का निश्चय व्यक्त किया गया है लेकिन इस बिल में आपातकालीन स्थिति को (right to health) चिकित्सकीय दृष्टि से परिभाषित नहीं किया गया है। इस बिल को सरकारी अस्पतालों और संस्थानों के लिए प्रारंभिक तौर पर लागू किया जाए। कोई भी जनकल्याणकारी सरकार किसी भी मॉडल को सफल होने के लिए अपने अस्पतालों में लागू करना पसंद करती है और सीधे-सीधे निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में इसको लागू करने से विरोध और संशय की स्थिति सामने आना कि सम्भावना है।

कानूनी दृष्टि से ना केवल यह बिल निजी क्षेत्र के लिए आक्रामक बताया जा रहा है बल्कि इसके आने से पहले ही बोझ तले दबी 70% से अधिक निजी स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाने की आशंका है। सभी प्रकार के निजी अस्पतालों में सभी तरह की इलाज की सुविधाएं नहीं होती हैं डॉक्टरों की उपलब्धता के आधार पर 80% से ज्यादा अस्पताल आपने विशेषज्ञता की सेवाएं देते हैं।

राजस्थान में पहले से ही चिरंजीवी योजना के अंतर्गत 25 लाख तक का इलाज निशुल्क दिया जा रहा है। सभी प्रकार के मरीजों के लिए आपात चिकित्सा सेवा केवल कॉर्पोरेट और मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों और बड़े शहरों में ही उपलब्ध है।

ऐसे में करीब-करीब हर आपात सेवा के मरीज को सभी अस्पतालों में सेवाएं देना संभव नहीं है। राइट टू हेल्थ बिल के उद्देश्यों पर प्रश्नचिन्ह भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि राजस्थान सरकार अपनी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जिम्मेदारी से पीछे हट रही है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर प्रतिरोध व्यक्त करते हुए प्राइवेट अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मचारियों के साथ लाठीचार्ज और वाटर कैनन चलाए जाने का भी विरोध व्यक्त करते है। राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध में आईएमए रायपुर के सभी सदस्य पूरी तरह शामिल है और आपसे अपेक्षा करते हैं कि कोविड-19 के दौरान अपनी अद्वितीय सेवा के लिए पहचान बनाने वाले पूरे भारतवर्ष के निजी क्षेत्र के डॉक्टरों की भावना का सम्मान करें और पुलिसिया ज्यादती की जांच का आदेश देवें। डॉक्टरों ने मांग करते हुए कहा कि फिलहाल राइट टू हेल्थ बिल को अगले विचार-विमर्श तक लागू होने से रोका जाए अन्यथा इस पत्र को चेतावनी के रूप में लिया जाए, बिल वापस न लेने की स्थिति में पूरे देश के चिकित्सक पूर्ण हड़ताल जैसे कड़े कदम उठाने को बाध्य होंगे।