हिंसक ‘लाल क्रांति’ के जवाब में शांतिपूर्ण ‘श्वेत क्रांति’ का आगाज

Kshirsagar on the lines of Amul dairy project in Naxal-affected areas will begin.
Kshirsagar on the lines of Amul dairy project in Naxal-affected areas will begin.

रायपुर 

नक्सल प्रभावित क्षेत्र मे अमूल की तर्ज पर क्षीरसागर डेयरी परियोजना

  • किसानों ने संगठित होकर बनायी क्षीरसागर सहकारी समिति
  • प्रतिदिन होगा दो हजार लीटर दूध का उत्पादन और वितरण
  • आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित चिलिंग प्लांट और पाश्चुराइजेशन संयंत्र प्रारंभ

छत्तीसगढ़ के नक्सल हिंसा पीड़ित दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले के किसानों और पशुपालकों ने अपनी सहकारी समिति बनाकर दूध के उत्पादन और डेयरी व्यवसाय के लिए ‘क्षीरसागर’ परियोजना की शुरूआत कर दी है। किसानों की इस समिति का पंजीयन ‘क्षीरसागर दूध उत्पादक सहकारी समिति’ के नाम से किया जा चुका है।
अधिकारियों के अनुसार नक्सलियों की कथित ‘लाल क्रांति’ के जवाब में ‘श्वेत क्रांति’ का यह अनोखा मॉडल इस आदिवासी बहुल जिले के किसानों और गौ पालकों की आर्थिक बेहतरी में मददगार साबित होगा। दूध का श्वेत अथवा सफेद रंग शांति और स्वस्थ जीवन का भी प्रतीक है। इस परियोजना के माध्यम से दक्षिण बस्तर में दूध और उस पर आधारित खाद्य सामग्री का उत्पादन बढ़ेगा। इनके इस्तेमाल से लोगों की और विशेष रूप से बच्चों की सेहत में भी काफी सुधार आएगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर यह परियोजना गुजरात के विश्व प्रसिद्ध ‘अमूल’ डेयरी की शैली में शुरू की गई है। कलेक्टर श्री के.सी. देव सेनापति ने बताया कि समिति में फिलहाल 20 सदस्य हैं। आगे और भी अधिक संख्या में किसानों को सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित कर समिति से जोड़ा जाएगा। कलेक्टर के अनुसार इस परियोजना से दंतेवाड़ा जिले में डेयरी उद्योग की राहें खुल गई हैं।1447 2
उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाश्चराइजेशन यूनिट की स्थापना की गई है। इसमें प्रतिदिन दो हजार लीटर दूध का उत्पादन और वितरण होगा। किसानों की समिति को इस कारोबार में हर महीने लगभग बत्तीस लाख रूपए की आमदनी होने का अनुमान लगाया गया है। इस समिति से जुड़े दूध उत्पादक किसानों के समूहों को हर महीने लगभग एक लाख 25 हजार रूपए की आमदनी होने की संभावना है। संयंत्र में तैयार पाश्चूरीकृत दूध का वितरण पैकेटों में किया जाएगा।  इस महीने की पन्द्रह तारीख को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दंतेवाड़ा में दूध के उत्पादन और व्यवसाय के लिए सहकारिता पर आधारित ‘क्षीरसागर’ परियोजना ने विधिवत कार्य शुरू कर दिया। प्रदेश के स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने इस अवसर पर परियोजना का लोकार्पण किया। श्री कश्यप ने परियोजना के दूध उत्पादन संयंत्र को भी देखा और अपनी शुभकामनाएं दी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के आणंद में वर्ष 1946 में सहकारिता पर आधारित अमूल डेयरी परियोजना की शुरूआत 247 लीटर दूध के उत्पादन और वितरण से हुई थी, जबकि अमूल की स्थापना के 68 साल बाद छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में उसी तर्ज पर शुरू की गई ‘क्षीरसागर’ परियोजना की दैनिक उत्पादन और वितरण क्षमता शुरूआती दौर में ही लगभग दो हजार लीटर है। जिला जिला कलेक्टर श्री के.सी.देव सेनापति और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सारांश मित्तर ने किसानों को सहकारिता पर आधारित इस परियोजना के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने किसानों को इसके लिए प्रशासन की ओर से पूरी मदद का भरोसा दिलाया। जिले में छह-छह की संख्या में दूध उत्पादक किसानों के समूह बनाए गए और उन्हें सहकारी समिति से सम्बद्ध किया गया। किसानों के इन समूहों को 16 लाख रूपए की सरकारी मदद भी दिलायी गई, जिसमें विशेष छूट के रूप में 10 लाख रूपए का अनुदान भी शामिल हैं। पशुधन विकास विभाग ने किसानों की समिति को अधिक दूध देने वाली गायें उपलब्ध करायी। इन गायों के बेहतर रख-रखाव के लिए शेड भी बनवाये गए और उनके लिए उन्नत पशुचारे ‘एजोला’ की भी व्यवस्था की गई। इतना ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन ने किसानों द्वारा संकलित दूध को अधिक समय तक तरोताजा बनाए रखने के लिए 50 लाख रूपए की लागत से पाश्चराइजेशन यूनिट की भी स्थापना करवायी। संकलित दूध को चिलिंग संयंत्र तक पहुंचाने के लिए समिति को वाहन भी दिया गया है। कलेक्टर श्री देवसेनापति ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में दूध की आपूर्ति अपेक्षाकृत कम है, जबकि पूरे जिले में दूध उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। दूध ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रख पाने के कारण जिले के पशुपालक डेयरी व्यवसाय में रूचि नहीं ले रहे थे। पर्याप्त मात्रा में दूध का सेवन नहीं करने के कारण जिले के बच्चों में कुपोषण की भी समस्या देखी गई है, लेकिन अब क्षीरसागर परियोजना इस समस्या के निराकरण में भी सहायक होगी। बच्चों को अच्छी गुणवत्ता का दूध मिल सकेगा। हमने जिला प्रशासन और जिला पंचायत की ओर से समिति के सदस्य हितग्राहियों को अच्छी नस्ल की गायों सहित दूध के लिए चिलिंग संयंत्र और पाश्चराइजेशन यूनिट सहित सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी हैं। जिला पंचायत दंतेवाड़ा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सारांश मित्तर ने बताया कि जिले में नक्सल पीड़ित गांवों के बच्चों की शिक्षा के लिए आवासीय विद्यालय के रूप में पोटा केबिनों की स्थापना की गई है। इन पोटा केबिनों में रहने वाले बच्चों को भी ‘क्षीरसागर परियोजना’ से पर्याप्त मात्रा में शुद्ध और पौष्टिक दूध की आपूर्ति की जा सकेगी, जो उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा।