रायपुर/07 मार्च 2014
पूर्व प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष और अभनपुर के विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा इस वर्ष भी किसानो के लिये घोषित धान का 300 रू. प्रतिक्विंटल बोनस की राषि को देने में धोखाधड़ी की जा रही है। प्रदेष के किसानों को धान का बोनस राषि देने के लिये आवष्यक राषि विधानसभा में बजट में पारित कर किया गया है। फिर भी किसानो को बोनस का वितरण नहीं किया गया और लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से आचार संहिता लागू होने से अभी 3 माह तक बोनस नहीं मिल सकेगा। जबकि किसानो को धान की बोनस के राषि धान के बिक्री के समय ही धान के समर्थन मूल्य के साथ भुगतान किया जाना चाहिये। शासन की गलत नीति के कारण प्रदेष के किसान बोनस से वंचित हो गए अतः अब किसानो को धान बेचने की अवधि से बोनस के भुगतान की तिथि तक की अवधि का ब्याज शासन द्वारा दिया जाना चाहिए। जब 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में आचार संहिता 26 फरवरी के आस-पास लगती है और मुख्यमंत्री रमनसिंह एवं भाजपा सरकार को मालूम था कि इस साल लोकसभा चुनाव होंगे फिर किसानो को धान के बोनस के भुगतान में जानबूझकर क्यों देर की गयी? भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों से धान पर समर्थन मूल्य के साथ 300 प्रति क्विंटल बोनस देने का भी वायदा किया था लेकिन किसानो को धान का बोनस कीमत के साथ नहीं दिया जा रहा है। भाजपा सरकार को स्पष्ट करना चाहिये कि धान की कीमत के भुगतान के साथ बोनस की राषि देने में क्या परेषानी थी? ऐसी कौन सी दिक्कते है जो बोनस राषि का भुगतान साथ में नहीं किया जा रहा है? अपने घोषणा पत्र में धान के समर्थन मूल्य को 2100 प्रति क्विंटल करने का वायदा कर मुकरने वाली भाजपा सरकार एक बार फिर से किसानो से धोखाधड़ी करने की तैयारी में लग गयी है। सरकार के द्वारा बहानेबाजी की जा रही है कि बोनस की राषि भुगतान लोकसभा चुनाव के बाद किया जायेगा। सरकार किसानो को बोनस की राषि देना ही नहीं चाहती। लोकसभा चुनावों में बोनस नहीं देने से विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिये लोकसभा चुनाव के बाद बोनस देने की झूठी बातें और झूठे वायदे किये जा रहे है। घोषणा पत्र में वायदा कर उस वायदे से मुकरना भारतीय जनता पार्टी की पुरानी फितरत है पिछले चुनाव में भी किसानों से धान पर 270 रू.प्रति क्विंटल बोनस देने का वायदा किया गया था लेकिन सिर्फ शुरूआती वर्ष ही धान का बोनस दिया गया। लोकसभा चुनाव के बाद 3 वर्ष तक बोनस नहीं दिया गया 2013 के विधानसभा चुनाव को देखते हुये अंतिम वर्ष भी बोनस का भुगतान किया गया। तीन वर्ष के बोनस के 3880 करोड़ रू. सरकार ने किसानों को नहीं दिया। भाजपा सरकार वही वायदा खिलाफी का दौर फिर दुहराने की तैयारी में लग गयी है।