रायपुर, 30 मई 2014
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को भी बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यह भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। इसमें कई जटिल बीमारियों का इलाज हो सकता है। मनुष्य की जीवनचर्या और उसके आहार-विहार को ठीक रखने में आयुर्वेद एक प्रेरणा स्रोत की भूमिका निभाता है। मुख्यमंत्री आज कोरबा जिले के जमनीपाली में केरल की संस्था द्वारा स्थापित शांतिगिरी आयुर्वेद एवं सिद्ध स्वास्थ्य केन्द्र का शुभारंभ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारतीय चिकित्सा पद्धति के आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा प्रणालियों के विकास के लिए आयुष संचालनालय द्वारा योजनाबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं।
समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विगत दस वर्ष में राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में चिकित्सा सेवाओं का व्यापक रूप से विस्तार किया है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ायी गई हैं। गरीबों को जटिल बीमारियों में इलाज के लिए सुविधाएं देने कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने अमीर-गरीब के भेदभाव से परे सभी 56 लाख परिवारों को पंजीकृत अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत स्मार्ट कार्ड के आधार पर प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को अब तक सालाना 30 हजार रूपए के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही थी, जिसे इस वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 50 हजार रूपए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने केरल की संस्था द्वारा कोरबा में शुरू किए गए 20 बिस्तरों के शांतिगिरी आयुर्वेद एवं सिद्ध स्वास्थ्य केन्द्र की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा के क्षेत्र में केरल की अपनी एक विशेष पहचान है। वहां देश-विदेश के लोग इस पद्धति से इलाज करवाने जाते हैं। अब छत्तीसगढ़ के कोरबा क्षेत्र में भी लोगों को यह सुविधा मिलने लगेगी। यह हम सबके लिए सौभाग्य की बात है। समारोह में स्वास्थ्य मंत्री और कोरबा जिले के प्रभारी श्री अमर अग्रवाल, लोकसभा सांसद डॉ. बंशीलाल महतो, विधायक श्री लखन लाल देवांगन सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।