अम्बिकापुर. छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर मंत्री अमरजीत भगत ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. श्री भगत ने कहा की मैंने अपने राजनीति की शुरुआत अजीत जोगी जी के साथ की थी. जब वो अविभाजित मध्यप्रदेश के समय भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किये थे.. और स्व. अर्जुन सिंह जी ने उनको तेंदू पत्ता नीति बनाने की जिम्मेदारी दी थी. पूरे प्रदेश में घूमकर तेंदूपत्ता के सहकारी करण का मसौदा था. ये जोगी जी की देन थी. जिसका आज वानांचल में लोगों को लाभ मिल रहा है. जिसके लिए लोग सदा उनको याद करेंगे.
श्री भगत ने बताया की जब मध्यप्रदेश में सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री थे. तो कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिये उन्होने पूरे प्रदेश का दौरा किया. इस दौरान मेरा जुड़ाव उनसे सरगुज़ा के लखनपुर में हुआ. कैलाश अग्रवाल जी के मकान में हमसे उनका जुड़ाव हुआ.. और हम उनसे इतना प्रभावित हुए की सरगुज़ा से बिलासपुर तक हम उनके साथ पैदल चल दिये.. और इस दौरान उनसे बहोत प्रभावित होने का अवसर मिला. वो अक्सर कहा करते थे.. की गरीब को ना सताइये,जाकी मोटी हाय… और व्यवहारिक रूप से उनसे प्रभावित हुआ. वो प्रशासनिक अधिकारी के साथ साथ कुशल राजनेता भी थे. हर विषम परिस्थिति को कैसे माहौल को अपने पक्ष में करना है ये उनको आता था.
कई बार राजनैतिक उतार चढ़ाव के साथ उनकी निजी जिंदगी में भी कई उतार चढ़ाव आये. वो महासमुंद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे. तब दुर्घटना में वो घायल हुए थे. ऐसे कई समय उनके जीवन मे आये की उन्होंने मौत को चुनौती दी. हमने आज एक ऐसा राजनेता खोया है. जिन्होंने छत्तीसगढ़ में सत्ता की नींव रखी थी. साथ ही विकास का स्वरूप दिखाया था. आज वो हमारे बीच नही है, हम उनको हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.. और ऐसी दुख की घड़ी में परिजनों को ईश्वर संबल दे.. और ईश्वर से प्रार्थना है की मृत आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दें.