
सरकारी मोटल दलालों की गिरफ्त में, प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं
अम्बिकापुर(दीपक सराठे की रिपोर्ट)
छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में इन दिनो बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे है। हर प्वांइट में वाहनों की कतार लग रही है। ठंड के मौसम में जहां एक ओर पूरा मैनपाट गुलजार नजर आ रहा है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी मोटल में दलाल सक्रिय हो गये है। 31 दिसम्बर की रात अगर आप को मैनपाट में गुजारनी है तो आपकों 12 हजार रूपये सरकारी मोटल में खर्च करने होंगे। दलाल मोटल के एडवांस बुकिंग के नाम पर सैलानियों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठा रहे है। प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं होने से सैलानियों को मिलने वाली यह सुविधा काफी मंहगी साबित हो रही है।
शासन-प्रशासन ने मैनपाट में पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के लिए सरकारी मोटल की सुविधा मुहैया कराई है। जो अच्छी बात है और स्वागत योग्य भी है। फिर यहां दलालों के माध्यम से लूट की छूट क्यो? अगर लोगों को दो हजार की जगह 12 हजार देना पड़ रहा है, तो आम आदमी इन सरकारी मोटलों से दूर ही रहेंगा। तीन दिन बाद पुरानी वर्ष की विदाई हो जायेगी और नये वर्ष का जश्न मनाने भी लोगों की भारी भीड़ मैनपाट पहुंचेगी। यही नहीं मैनपाट कार्निवाल को देखने सरगुजा सहित प्रदेश के अन्य प्रांतो से काफी संख्या में लोग पहुंचते है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटल स्थल मैनपाट की रौनकता साल के आखिरी दिनों में बढ़ गई है। छुट्टियां खत्म होने के बाद भी सैलानियों की भीड़ में कोई कमी नहीं है। पिछले एक सप्ताह से यहां भारी भीड़ उमड़ रही है। बड़ी संख्या में सैलानियों के पहुंचने के कारण स्थानीय लोगों
कई सुविधाएं अधूरी
मोटल बुक हो जाने के कारण मैनपाट में लोगों के रात गुजारना आसान नहीं है। वहीं पर्यटन विकास के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी कई सुविधाएं आज भी अधूरी है। यहां सड़क का निर्माण साल के आखिर कराया जा रहा है। जहां बड़े बड़े बोल्डर डाल देने से टायगर प्वांइट व जलजली जाने वाले सैलानियों का गुजरना मुश्किल हो गया है। जबकि बेरियर लगाकर प्रति वाहन 20 रूपये की वसूली की जाती है। परंतु मात्र 200 मीटर का मार्ग अब तक सुधारा नहीं गया है।