अम्बिकापुर. ज़िले के सीतापुर ब्लॉक में आदिवासी वर्ग के जमीन को अधिकारियों और भूमाफ़ियाओं की मिली भगत से हड़पने का मामला सामने आया है. दरअसल, सीतापुर के महेंद्र पैकरा ने आज सरगुजा कमिश्नर और कलेक्टर के नाम एक शिकायत सौंपा है. जिसमें ट्रांसफर में रहते हुए सीतापुर तहसीलदार द्वारा आदिवासी वर्ग के ज़मीन को भू माफिया से मिलकर कार्रवाई करने पर रोक लगाने की बात कही है.
शिकायत में उल्लेखित किया गया है की 06 मार्च को सीतापुर तहसीलदार का दंतेवाड़ा ट्रांसफर हो गया है.. लेकिन लॉकडाउन के कारण वे कार्यमुक्त नहीं हुए हैं. हमारा जमीन सीतापुर तहसील कार्यालय के सामने है. जिसको हड़पने के लिए सीतापुर के भूमाफ़िया लगे हुए हैं. जिसमें तहसीलदार भागीरथी खांडे शामिल है. लॉकडाउन के दौरान जहां सभी कार्यालय और न्यायालय बन्द थे. वहीं तहसीलदार ने 08 अप्रैल, 15 अप्रैल और 21 अपैल को अपना अदालत हमारे जमीन को हड़पने के लिए. भू माफ़िया लोगों के साथ मिलकर उनके उपस्थिति में लगाया.. और नामांतरण करने का कार्रवाई पुरा कर. बिना हमारा पक्ष सुने 20 मई को हमारा पूरा आपत्ति को एक लाइन से निरस्त करके. केस की दिनांक 21 मई को फ़ैसला के लिए लगा दिए हैं.
तहसीलदार भागीरथी खांडे ट्रांसफर में हैं.. और उनको केस में फ़ैसला करने का अधिकार नहीं है. जानकारी मिला है कि जमीन दलालों से 05 लाख रुपया लेकर भागीरथी खांडे ये काम कर रहे हैं. की किसी भी प्रकार से फैसला करके जमीन माफ़िया लोगों के इशारे नामांतरण कर दिया जाए. उसके बाद कार्यमुक्त होकर चले जाएं!
• जमीन विवाद हाईकोर्ट मे फिर भी बिक्री
सरगुजा के सीतापुर ब्लाक मुख्यालय की बेशकीमती जमीन चंद अधिकारियो और भूमाफियाओ ने मिलकर मनमाने तरीके बिकवा दी है.. बेंचने के बाद आनन फानन मे नामांतरण की कोशिश भी की जा रही है.. जिसके विरोध मे जमीन पर मालिकाना हक रखने का दावा करने वाले लोगो ने सरगुजा कलेक्टर और संभाग आयुक्त से न्याय की गुहार लगाई है.. औऱ दूसरे पक्ष की सुनवाई करके ही जमीन के नामांतरण करने की अपील की है..
जानकारी के मुताबिक सीतापुर ब्लाक मुख्यालय मे कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी ये आदिवासी हक की जमीन तहसील कार्यालय के सामने है.. जिसका मौजूदा समय मे बाजार भाव करोडो मे हैं.. गौरतलब है कि सन् 1999 मे लिए गए स्टांप के सहारे सबसे पहले 1.18 एकड जमीन का 58 डिसमिल हिस्सा.. जमीन मालिक मधुराम से इंद्रनाथ नागवंशी नाम ने खरीदा था.. लेकिन जमीन के उत्तराधिकारियो के मुताबिक ये जमीन उस दौर मे इंद्रनाथ ने फर्जी तरीके से खदीद कर उसकी रजिस्ट्री और नामातंरण करा ली थी.. जिस पर हाईकोर्ट मे मामला लंबित है.. और हाईकोर्ट ने इस पर किसी प्रकार के निर्माण और कार्य ना करने के लिए 29 जून 2017 को जमीन मालिक तिराजू और महेन्द्र पैकरा को स्थगन दिया था.. बावजूद उसके उस 58 डिसमिल जमीन को इंद्रनाथ ने 14 अक्टूबर 2019 को चार अलग अलग को रजिस्ट्री कर दी थी.. जिसके बाद इंदनाथ और पर्दे के पीछे से कुछ सामान्य वर्ग के भूमाफियओ ने इस जमीन के नामांतरण की कार्यवाही की कोशिश की.. जिस पर जमीन के असल मालिक तिराजू और महेन्द्र ने नामांतरण ना होने के लिए तहसील कार्यालय और एसडीएम कार्यालय मे स्थगन अपील की.. लेकिन उनकी अपील पर ना ही सुनवाई हुई औऱ ना ही अपील को खारिज किया गया.
लिहाजा स्थलन अपील करने वाले जमीन मालिको के मुताबिक जिस मौजूदा तहसीलदार भागीरथे खांडे के द्वारा जमीन के नामांतरण की कार्यवाही की जा रही है.. उनका तबादला दंतेवाडा हो चुका है.. जो हाईकोर्ट के आदेश की अव्हेलना के साथ ही दूसरे पक्ष की अपील को नजरअंदाज करके जमीन के नामांतरण का प्रयास कर रहे हैं.. इतना ही नही अपीलकर्ता इंदनाथ का आऱोप है कि मौजूदा तहसलीदर जाते जाते कुछ लेन देन कर इस जमीन का मनमाने ढंग से नामांतरण कार्यावाही करके रवाना होने की फिराक मे हैं.
• शिकायत की प्रति
• तहसीलदार स्थानांतरण आदेश