कोरिया। हाल में बेहतर सेहत और शरीर को फिट रखने के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है। जिससे लोगों ने ब्लैक टी, ग्रीन टी और लेमन टी की ओर रुख कर लिया है। इसी बीच कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के प्रयास से जिले में अपराजिता के फूलों से बनी ब्लू टी तैयार की जा रही है। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ. केशव चन्द्र राजहंस ने बताया कि, जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में इसका शुरुआती प्रयोग सफल रहा है, आगे चाय को बाजार तक लाने के लिए आदिवासी किसानों को इससे जोड़कर पैकेजिंग की जाएगी।
उन्होंने बताया कि, अपराजिता का नीला फूल आमतौर पर अधिकांश घरों में दिख जाता है। यह फूल दिखने में जितना सुंदर है, उतने ही इसमें औषधीय गुण मौजूद है। इसके फूलों से ब्लू टी बनाने की कृषि विज्ञान केन्द्र, जिस तकनीक पर काम कर रहा है, उसमें अपराजिता के फूलों से सुखाकर इसकी पैकेजिंग की जाएगी। इसके साथ ही इसके फ्लेवर डाले जाएगें, इससे यह चाय टेस्टी और हेल्दी भी होगी। ये ब्लू टी जहां थकान और तनाव को झट से दूर भगाकर आपको स्वस्थ रखेगी। वहीं अपराजिता के फूलों से बनी चाय डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी होगी, क्योंकि इसमें पाये जाने वाले तत्व ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं। इससे भोजन से प्राप्त होने वाले ग्लूकोज की मात्रा कंट्रोल होती है। साथ ही इसमें मिनरल्स और विटामिंस है, साथ ही भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जिससे त्वचा और बालों की रंगत निखरती है। इसका स्वाद ग्रीन टी से बेहतर होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया ने किसान उत्पाद संगठन के माध्यम से अभी तक 50 किलो ब्लू टी की बिक्री की है।
जानिए ब्लू टी पीने से क्या होते हैं फायदे
शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकालती है- ब्लू टी में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथ ही स्किन और बालों को भी खूबसूरत बनाता है। यह शरीर मे मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में काफी कारगर है।
आंखों में रोशनी बढ़ाने में कारगर- इस चाय के सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है। इसके साथ ही आंखों की थकान जलन और सूजन को कम करने के काम भी यह आती है।
रोज पीने से झुर्रियों को करती है कम- यदि आप अपने डेली रुटीन में इस चाय को शामिल कर लें, तो ब्लू टी पीने से चेहरे की झुर्रियां कम हो सकती है। चेहरे पर होने वाला फाइन लाइंस और बढ़ती उम्र के निशान से भी छुटकारा मिल सकता है।
किसानों को इससे जोड़ेंगे- डॉ. राजहंस ने बताया कि ब्लू टी तैयार करने का प्रारंभिक प्रयोग कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया में सफल हुआ है। आदिवासी किसानों को इसका प्रशिक्षण देकर अपाजिता के फूलों को चाय के लिए तैयार कराया जाएगा, इसके बाद यह बाजार तक पहुंचेगा।