चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
अपने कोख में प्रचूर कोयला के उपलब्धता के कारण आज से लगभग 87-88 साल पहले अपने प्राकृतिक संुन्दरता बिखेरती वनांचल के घने पहाड़ों से बाहर निकल कर यह क्षेत्र चिरमिरी दुनिया के नजर में तब आया, जब इस बिहड़ क्षेत्र के गर्भ में मौजूद कोयले की खान को सन् 1927 में चिरमिरी के आधुनिक जनक इंजीनियर दादू विभूति भूषण लाहिड़ी ने यहां कोयला होने के प्रमाण पाकर अपने सकारात्मक ऊर्जा को आगे बढ़ाने के अपने दृढ़ निष्चय रूपी क्रम को आगे बढ़ाकर यहां के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव से आवष्यक बातचीत व अनुमति से अपने काम को आगे बढ़ाया।
इस सम्बंध में चर्चा करते हुए कांग्रेस के युवा नेता के0 डोमरू रेड्डी ने बताया कि तब से अब तक के कुछ समय पहले तक यह कोयलांचल क्षेत्र सम्पूर्ण देष में ऊर्जा निर्माण में कई कीर्तिमानों सहित अपना नाम रौषन किया है, किन्तु वर्तमान कुछ एक वर्षो से यह क्षेत्र लगातार अवनति की ओर अग्रसर दिखने लगा है। यहाँ के कोयला खदानों के उम्र में ढलान के साथ-साथ स्थानीय निकाय नगरपालिक निगम के अस्तित्व पर भण्डराते खतरे से यहा के नागरिकों के माथे पर चिन्ता की लकीरे उकेरने लगी हैं। प्रबुध्द समाज अपने इस कार्यक्षेत्र को छोड़ने की आषंका से ही भयभीत हैं। दरअसल यह पूरी चर्चा जोर-शोर से उस समय और बलवति होने लगी जब वर्ष 2011-12 के जनगणना में कोयलांचल चिरमिरी की नई जनसंख्या 85,379 बताई गई है। चूंकि नगरपालिक निगम क्षेत्र बने रहने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने न्यूनतम एक लाख की आबादी को निर्धारित रखा है, ऐसी स्थिति में जिले का यह एक मात्र नगर निगम अपने संकट के दौर से गुजरती दिख रही है।
राजनैतिक जानकारों और प्रबुध्द समाज के मुताबिक यदि ऐसा होता है, तो यह प्रदेष में हैट्रिक लगाने वाली भाजपा के डाँ. रमन सिंह सरकार की चिरमिरी के लिए इससे बड़ी विफलता और कुछ नहीं होगी, क्योंकि वर्ष 2003 में अम्बिकापुर में सम्पन्न केबिनेट की मीटिंग में घोषित यह नगर निगम कांग्रेस सरकार की देन है, उसके बाद प्रदेष में वर्ष-2004 में सत्ता परिवर्तन होकर डाँ. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने। आजादी के बाद उसी वर्ष हुए पहले स्थानीय निकाय चुनाव में चिरमिरी के मतदाताओं ने प्रदेष में काबिज भाजपा सरकार के विपरीत यहाँ कांग्रेस के महापौर स्व. सुभाषिनी सिंह पर दाव खेला था और उनके कार्यकाल में हुए विकासोन्मुखी कार्यों की प्रषंसा आज भी चिरमिरी के गली-मोहल्ले से लेकर प्रमुख लोगों के बीच भी होती है। जबकि लगातार दो बार यहाँ से सत्तापक्ष के विधायक चुने जाने, यहाँ तक कि पूर्ण बहुमत के साथ दूसरे नगर निगम चुनाव में महापौर के जीत के बाद यदि चिरमिरी को प्रदेष की सरकार कांग्रेस के समय स्थापति हुए नगर निगम के अस्तित्व को कम करके नगर पालिका या कुछ और करती है तो यह क्षेत्र की जनता बर्दाष्त नहीं करेगी और आने वाले चुनावों में चिरमिरी की शांत जनता इसका हिसाब चुकाने को तैयार उठ खड़ी होगी।
इस सम्बंध में युवा कांग्रेस के पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष के0 डोमरू रेड्डी ने महापौर और आयुक्त को पत्र लिखकर चिरमिरी निगम के अस्तित्व के संकट को दूर करने के आग्रह के साथ मांग किया है कि पूराने साड़ा क्षेत्र को उन ग्राम पंचायतों के बीच समन्वय स्थापित करके अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाने की दिषा में सक्रिय भूमिका निभाएं। जिससे नगर निगम को ऊर्जा भी मिल सके और साथ ही निगम को विकास के दूसरे कामों को करने के लिए राजस्व की जमीन भी उपलब्ध हो सके। उन्होंने महापौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोई भी संस्था अपने बढ़ते चरण की दिषा में काम करता है, लेकिन इस कार्यकाल में यह उल्टे ही दिख रहा है जिसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाए जाने का अब डेड लाईन आ गया है। पूर्व साड़ा क्षेत्र को साथ मिलाने से उन क्षेत्रों के नए स्वरूप बनने के साथ अपने शहर का अस्तित्व भी बढ़ सकेगा जो आने वाले पीढ़ी के लिए एक नया सोच विकसित करने की दिषा में बड़ा पहल होगा।
श्री रेड्डी ने कहा है कि चिरमिरी के प्रबुध्द समाज और नेता अपने-अपने स्तर पर सक्रियता से यदि राज्य सरकार पर दबाव डालें तो चिरमिरी के ऊपर मंडराने वाला यहा कृत्रिम संकट को अवष्य दूर किया जा सकता है। क्षेत्र के लोगों से अपील करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि नेता अपने-अपने महापौरी चुनाव की तैयारिया से दूर सभी जगरूक नागरिकों को कुछ के मातृभूमि व ज्यादात्तर लोगों के कर्मभूमि चिरमिरी के मिट्टी के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने कर इस क्षेत्र के विकास व स्थायित्व के लिए पहल करें।