चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
कोयलांचल क्षेत्र चिरमिरी में रहने वाले लोग कोल डस्ट की समस्याओं से परेषान हो रहे हैं वर्तमान समय में सड़कों पर जिस तरह कोल डस्ट उड़ रहा है उस वजह से न सिर्फ लोगों की दिक्कतें बढ़ती ही नहीं, बल्कि इस डस्ट से कई बीमारियां भी लोंगो को हो रही हैं। कोयलांचल के चिरमिरी के खदान से लेकर हल्दी बाड़ी साईडिंग तक कोल डस्ट देखते बनता है यहां पर पूरे दिन सड़कों से कोयले का डस्ट उड़ता रहता है और षाम को तो इस डस्ट की वजह से नजारा ऐसा हो जाता है ठीक से सड़क भी नजर नहीं आती।
व्यापारी व ग्रामीण प्रभावित- यहां सड़क के किनारे व्यापारी वर्ग व रहवासीयों के आवास में आये दिन कोल डस्ट जमी रहती है जिस वजह से इन व्यापारियों के व्यापार पर भी फर्क पड़ता है ठंड व गर्मी में यह समस्या और बढ़ जाती है। कोल डस्ट की समस्या से लोगों को निदान नहीं मिल पा रहा है कालरी प्रबंधन भी इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है।
24 घंटे वाहनों का आवागमन- सहक्षेत्र हल्दीबाड़ी में खदान होने के कारण यहां कोयले से लदी डम्फर व हाईवा 24 घंटे चलते हैं इन वाहनों से कोयले के छोटे-छोटे टूकड़े सड़को पर गिरते रहते हैं वही टूकड़े वाहनों के पहिये से पीसकर डस्ट का रूप लेकर आवागमन में उड़ते हैं और लोगों के चेहरे, कपड़े व नाजूक आंखों में घूसते हैं जो बीमारी को आमंत्रण देने जैसा है। वहीं लोगों की माने तो उनके घर, दूकान के अन्दर डस्ट घूस जाता है जिसे रोजाना साफ करना लोगों के लिए अतिरिक्त कार्य बन गया है। वहीं प्रतिदिन साफ कपड़े सुबह से शाम तक गंदे हो जाते हैं जिससे लोगों में काफी आक्रोष है व कालरी प्रबंधन से इस समस्या से निजात दिलाने की मांग कर रहे हैं। देखना यह है कि इस समस्या से कालरी प्रबंधन कब निजात दिलाता है।
वाहनों का ओव्हर लोड डस्ट का मुख्य कारण- प्रतिदिन 24 घंटे इन सड़कों पर डम्पर व ट्रेलर क्षमता से अधिक कोयला लेकर बिना तिरपाल के दौड़ते हैं जिस वजह से इन ओव्हरलोड वाहनों से कोयले का टूकड़ा पूरे सड़कों पर गिरता जाता है और उन्हीं ट्रकों के पहियों से पीसकर डस्ट बन लोगों के चेहरे, कपड़े, आंखों व घर, दूकानों में पड़ता है जो डस्ट का मुख्य कारण व लोगों की परेशानी बना हुआ है।