तिल और लड्डू के साथ मनी संक्राति…

तिल के साथ मकर संक्रांति
जलास्त्रोंतों में हुआ स्नान,
विधि-विधान व हर्षोउल्लास से मनाया गया मकर संक्रांति
जशपुरनगर

सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के पर्व मकर संक्रांति  विधि-विधान से मनाया गया. ल¨गों ने प्रातः काल उठकर बहते जल में स्नान किया. घरों में पूजा-पाठ के बाद तिल की मिठाईयों का भोग भगवान को अर्पित किया गया. लोगों ने तिल की मिठाईयां प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. मंदिरों में भगवान क¨ तिल अर्पित करने के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा. प्रातः काल स्नान के बाद धूप की तपन का आनंद लेते लोग देखे गए वहीं अधिकांश लोगों ने परंपरा स्वरूप पतंगबाजी का लुफ्त भी उठाया.
मकर संक्रांति पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया. घर-घर में तिल गुण के लड्डू व तिलकूट सहित तिल की अन्य कई प्रकार की मिठाईयों की खुश्बू बिखरती रही. तिल गुण का स्वाद चखने के इस बेहतर म©के को लोगों ने परंपरास्वरूप निर्वहन करते हुए तिल की मिठाईयों का सेवन किया. मिठाईयों का एक घर से दूसरे घरों में आदान-प्रदान का द©र दिनभर चला।
मकर संक्रांति पर सिर्प तिल की मिठाईयों का सेवन ही नहीं बल्कि इस दिन स्नान का भी विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले बहते जल में स्नान का विशेष पल प्राप्त होता है. यह भी कहा जाता है कि मकर संक्रांति की सुबह बहते जल में स्नान के बाद धूप की तपन शरीर को रोगों से लड़ने की उर्जा देती है.

इन मान्यताओं के आधार पर लोग बहते जल में स्नान के लिए नदी, झरने व जलाशयों में पहुंचे. शहर के पक्की डांड़ी जिसे लोग पाताल गंगा के नाम से जानते हैं, में मकर स्नान के लिए सुबह 5 बजे से ही शहरवासियों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. सैकड़ों श्रद्धालुओं ने  पक्की डांड़ी पहुंचकर स्नान किया. यहां स्नान का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा. इसी तरह लावा और बांकी नदी में जाकर भी लोगों ने डूबकी लगाई. कुछ श्रद्धालु धार्मिक पर्यटन स्थलों में गए. रानीदाह जलप्रताप व स¨गड़ा संगम में भी सैकड़ो श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई. यहां श्रद्धालुओं ने न सिर्प संक्रांति का पवित्र स्नान किया बल्कि यहीं खिचड़ी बनाकर वनभ¨ज का आनंद भी प्राप्त किया. दिनभर लोग मौज मस्ती में डूबे रहे.

तिल-तिल बढ़ेगा दिन

मकर संक्रांति के बाद अब दिन में भी बढ़ोत्तरी होगी. मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण हो जाता है और रातें छोटी व दिन बढ़नी शुरू होती है. हिन्दू संप्रदाय का यह पर्व खगोलीय घटना पर आधारित है।

दान देने की परंपरा का हुआ निर्वहन
मकर संक्रांति के दिन साधु संतो, ब्राम्हणों व भिक्षुओं को दान देने की परंपरा भी है. मान्यता है कि मकर संक्राति के दिन सूर्य अधिक प्रखर होता है और इस तेज से वातावरण बीते माहो से अधिक प्रखर होता है. इस दिन दान पुण्य कर लोग दुआएं बंटोरते हैं और सूर्य की नई तेज के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए नई उर्जा लेकर काम करते हैं.