अम्बिकापुर। अन्न दान के महापर्व ‘छेरता’ की सरगुज़ा अंचल में भी धूम रही.. सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों, बुजुर्गों में ‘छेरछेरा’ को लेकर उत्साह देखने को मिला.. जो हाथ मे टोकरी, झोला लिए घर-घर जाकर नृत्य कर दान मांगते दिखे.. नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाए जाने वाले इस लोकपर्व को लेकर हर किसी के चेहरे अलग ही मुस्कान दिखी…
सरगुज़ा ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र में ‘छेरछेरा’ पर्व पर बच्चों द्वारा घर-घर जाकर ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा’ की गूंज के साथअन्न दान मांगा गया.. पौष पूर्णिमा के अवसर पर मनाए जाने वाले इस त्यौहार में बच्चों के साथ-साथ युवाओं और बुजुर्गों में भी कॉफी उत्साह रहा..
‘छेरता’ को मैदानी इलाकों में ‘छेरछेरा’ के नाम से जाना जाता है.. बच्चों द्वारा द्वार-द्वार जाकर छेरता से संबंधित गीत गाकर नृत्य किये जाते है.. जिसके बदले उन्हें चावल, धान दिया जाता है.. जिसे बच्चों द्वारा बेचकर पिकनिक मनाया जाता है..
फ़िलहाल छत्तीसगढ़ के पारंपरिक छेरता त्यौहार की खुशी ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनायी गयी.. जो कोरोना काल के दर्द तकलीफों को भुलाने में मरहम का काम कर गयी..