अनिल उपाध्याय, सीतापुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की एक चिन्हारी, नरूवा, गरुआ, घुरुआ अउ बारी का नारा दे किसान एवं ग्रामवासियों के उत्थान हेतु पंचायत स्तर पर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित गोठान योजना उपेक्षित होकर अपना अस्तित्व खोने लगा है। सरपंच सचिव की निष्क्रियता ने सरकार के इस अभियान पर पानी फेर दिया है। जिस वजह से गोठान (Gothan) की हालत बद से बदतर हो गई है। कागजो पर संचालित हो रहे गोठान की हालत देख ग्रामीणों का इस योजना से मोह भंग होने लगा है। उन्होंने सरपंच सचिव पर योजना में भ्रष्टाचार बरतने का आरोप लगाते हुये कहा कि गोठान में मवेशियों हेतु चारा पानी तक की व्यवस्था नहीं है। जो है वो काफी पुराना और सड़ा हुआ है। जिसे खाकर मवेशी बीमार हो रहे है साथ मे वहाँ सुविधाओं की भारी कमी है। जिस वजह से ग्रामीणों ने गोठान से दूरी बना ली है। हद तो तब हो गई। जब संबंधित अधिकारीयो ने भी इस योजना से मुँह फेर लिया और सरपंच सचिव की लापरवाही उजागर होने के बाद भी उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नही किया। कार्रवाई के अभाव में सरपंच सचिव गोठान के प्रति लापरवाह हो गये जिस वजह से शासन की यह महत्वाकांक्षी योजना अब दम तोड़ने लगी है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने नरूवा, गरुवा, घुरूवा और बारी योजना के तहत ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने हेतु गोठान योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ग्राम पंचायत वंशीपुर के राताखाँड़ में गोठान निर्माण कराया गया है। जिसके संचालन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव को दी गई है। दरअसल गोठान (Gothan) निर्माण के पीछे सरकार की यह मंशा है कि ग्रामीणों को चराई से निजात दिलाने खुले मवेशियों को गोठान में रखा जाये और ग्राम पंचायत के माध्यम से उनके चारे-पानी का पूरा प्रबंध सहित घेरावा करा गोठान को सुरक्षित रखा जा सके। ताकि गोठान में आने वाले मवेशियों के गोबर से गैस एवं अन्य उत्पाद का निर्माण सहित कुक्कुट पालन करा ग्रामीणों के लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जा सके। जिससे किसानों का भविष्य संवर सके और उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सके। (Chhattisgarh Gothan)
इस महत्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने सरकार ने भारी भरकम मैदानी अमला की तैनाती के साथ सरपंच सचिव को पूरी छूट दे रखी थी। ताकि गाँव के लोगो को गोठान योजना का पूरा लाभ मिल सके। किंतु सरकार की यह मंशा धरी की धरी रह गई।सरपंच सचिव की लापरवाही ने पूरी योजना का बेडागर्क कर दिया। लाखो खर्च होने के बाद भी गोठान की माली हालत में कोई सुधार नही हो सका गोठान मे सड़े गले और जानलेवा हो चुके चारे मवेशीयो को बीमार करने लगे है। जिसकी वजह से ग्रामीणों ने गोठान (Gothan) से दूरी बना ली है वे सरपंच सचिव के दुर्व्यवहार के कारण यहाँ मवेशी रखने से डरते है। और गोठान के बजाये खुले में अपनी मवेशी चराने को मजबूर है। इसके अलावा वहाँ बुनियादी सुविधाओं का व्यापक अभाव है जिस वजह से छत्तीसगढ़ की चिन्हारी नरवा, गरुवा, घुरूवा और बारी ग्राम पंचायत वंशीपुर में बद से बदतर हो गई हैं और मैदानी स्तर पर दम तोड़ने लगी है। सरपंच सचिव की लापरवाही उजागर होने के बाद भी कोई कार्रवाई नही होने एवं जिम्मेदार अधिकारियों के इस योजना से मुँह मोड़ लेने के कारण गोठान के अस्तित्व पर अब सवाल खड़े हो गए हैं।
गोधन न्याय योजना का भी बुरा हाल
प्रदेश सरकार (Chhattisgarh Government) ने हरेली पर्व के अवसर पर प्रदेशवासियो को सौगात देते हुये गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के खुली चराई पर रोक लगाते हुये गौ पालन एवं गौ सुरक्षा को प्रोत्साहन देना है। गोठानो के माध्यम से 2 रुपये किलो की दर से गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर 8 रुपये की दर से किसानो को बिक्री किया जाना है। ताकि जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके। किन्तु ग्राम पंचायत वंशीपुर के राताखाँड़ गोठान में इस योजना का बड़ा बुरा हाल है। मवेशी के अभाव में यहाँ गोबर की खरीदी नही हो रही है और न तो यहाँ गोबर रखने के पर्याप्त साधन है। सरकार द्वारा लाखो खर्च करने के बाद भी इस गोठान का कोई औचित्य नही है। इससे न तो सरकार को फायदा हो रहा है न ही किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
इस संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं नोडल अधिकारी गोठान सूरज गुप्ता ने बताया कि गोठान में व्याप्त कमियों को दूर कराया जायेगा। गोठान के रख रखाव के लिये समिति गठित की है। उनसे वहाँ की पूरी जानकारी मंगाई जायेगी और जो भी अव्यवस्था होगा उसे व्यवस्थित किया जायेगा।