अम्बिकापुर : प्रदेश में आगजनी के कई मामले सामने आए है लेकिन छत्तीसगढ़ में फायर व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है। हाल ही में आगजनी से नुकसान का भयावह मामला भंडारा जिले के सरकारी अस्पताल में आया था। जहां आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गयी। लेकिन इन बड़े हादसों से सरगुजा के फायर डिपार्टमेंट के अफसर सबक नही ले रहे है। प्राइवेट एवं सरकारी अस्पताल प्रबंधन, फायर डिपार्टमेंट के आला अधिकारी मरीजों की जान जोखिम में डाल खुद मोटी रकम वसूलने में लगे हुए है।
बात पूरे छत्तीसगढ़ की करें या फिर अकेले सरगुजा संभाग की। यहाँ के प्राइवेट अस्पताल एवं क्लिनिक बड़े-बड़े इमारतों के साथ बनती जा रही है। जिस डॉक्टर की शुरुआत एक छोटे से क्लिनिक रूम से होती है वही डॉक्टर देखते ही देखते बड़े बड़े अस्पतालों के मालिक बन जाते है। इनकी इस तरह की इमारतों के पीछे ना जाने कितने गरीब मरीजों का घर, जमीन, गहना गिरवी या बेचने का राज छिपा हुआ है। अस्पताल के चाक-चौबंद में इनके द्वारा लाखो-करोड़ो रूपये बड़े आसानी से खर्च किया जाता है। लेकिन फायर सिस्टम जैसे- फायर अलरामरिंग, पाइप लाइन, फायर सेफ्टी सिलेण्डर जैसे जरूरत की चीजों की बात आती है तो इनके पास इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बजट नही है का रटा-रटाया बहाना बताया जाता है। या फिर यह कहें कि बजट तो एक बहाना मात्र है इन्हें भी मालूम है कि फायर डिपार्टमेंट के आला अधिकारी, जो कि अपने आप को तुर्रम खां समझते है इनके सामने कमीशन की रकम फेंको तो लपक कर ले लेते है और मासूम मरीजों की जान को दांव पर लगाकर उनके मौत का सौदा कर जाते है।
जानकारी के अनुसार सरगुजा में फायर डिपार्टमेंट के अफसर सेंटियागो माइकल एवं सरवर खान, जो कि अपने आप को फायर सेफ्टी के ज्ञानी समझते है। इनके द्वारा NOC का खेल जमकर खेला जा रहा है। बड़े-बड़े नियम वाले आदेश निकालते है फिर स्वयं ही NOC उन सभी को दिलवा देते है जिन्होंने फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया होता है। जानकारी के अनुसार इन अधिकारियों के पास अधिकारी की कुर्सी के साथ-साथ फायर सेफ्टी का काम करने वाले कुछ फर्मो के विजिटिंग कार्ड भी रहते है। जिन्हें इनके द्वारा अस्पताल से लेकर बड़े-बड़े मॉल के प्रबंधक को दिया जाता है कि इनसे ही काम करवाना है। तब ही NOC मिलेगी।
प्लास्टीक के एल्बो शोकिट से फायर पाईप लाइन का काम
जानकारी के अनुसार फायर अधिकारी के दलाली वाले कमाई के सामने अगर किसी अस्पताल या किसी निजी संस्थान में आग लग जाये। तो प्लास्टिक की एल्बो शोकिट नही जलेंगी, फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति के लिए दिखावे के लिए पाईप लाइन का कार्य करवाया गया है। जिसमे सेंटेक्स टंकी से सीधा-सीधा पाईप उतार कर होजरील, नोजल, होजपाईप, हाईडेंट वाल फिट कर मरीजो, आम जनता को गुमराह करने के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी गुमराह कर रहे है। जिसका सिर्फ एक ही कारण है की इन सभी के द्वारा दिये गए कमीशन के मोटे रकम से फायर ऑफिसर के मुँह कान, नाक, आंख एवं हाथ सभी बंद जो गए है।
इन अधिकारियों के कारण घट सकता है बड़ा हादसा
जिस तरह से ये अधिकारी अपने कुर्सी और पद का गलत इस्तेमाल करके मोटी रकम लाभ के कारण फायर सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही करके खुब धन कमा रहे है। उससे आने वाले समय में किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है।