दंतेवाड़ा। जिला अस्पताल में कटेकल्याण निवासी अजमन ठाकुर को सुबह से शरीर में दर्द की शिकायत थी। उसे उपचार के लिए कटेकल्याण के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने उसे जिला अस्पताल दंतेवाड़ा रिफर किया। दोपहर दो बजे अजमन को जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में भर्ती करवाया गया, साथ ही उसके उपचार की प्रक्रिया शुरू हुई।
देर शाम से उसकी तबियत और ख़राब होने लगी। रात 9 बजे अजमन को साँस लेने में तकलीफ़ शुरू हुई, तो परिवारवालों ने आपातकालीन ड्यूटी में तैनात क़ोरोना वरियर्स डॉक्टर जे पात्रे के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया पर उन्होंने दरवाज़ा नहीं खोला, निरंतर ही अजमन की तबियत और ख़राब होते चले गयी और कुछ देर पश्चात् अजमन की मृत्यु हो गयी।
तत्पश्चात् नशे में धुत डॉक्टर जे पात्रे अजमन की मृत शरीर के पास पहुँचकर कहते है कि मैं मुर्दे को ज़िंदा कर दूँगा। फिर कोशिश करते है उसे ठीक करने की पर वो असफल होते है। शायद अगर वो पहले आ जाए रहते तो आज अजमन ज़िंदा होता, पर साहेब को तो शराब के शबाब में चूर होना था। हम डाक्टरों को भगवान का रूप कहते है वहीं पात्रे जैसे डाक्टर खुद को यमराज साबित कर देते है।
सिर्फ़ 37 वर्ष की कम आयु में अजमन ठाकुर की मृत्यु हो गयी। जानकारी के अनुसार रात्रि के ड्यूटी के अलावा दिन में भी कई डाक्टर नशे में धुत रहते है। तब अगर किसी मरीज़ को कुछ हो जाता है तो उसके परिजनों के हंगामे से बचने के लिए वे खुद के ऊपर हाथापाई का झूठा इल्ज़ाम लगाकर उन्हें पुलिस केस में फँसा देते है।
वहीं घटना का सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद, जांच पश्चात प्रथम दृष्टया इलाज में लापरवाही बरतने और अत्यधिक शराब के सेवन के मामले में डॉक्टर जे पात्रे को कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है।