संघर्ष और जुनून के बदौलत किसान के बेटे ने तय किया एमडी मेडिसिन तक का सफर… स्कूल की फीस जमा करने के लिये कभी सड़को पर सब्जी और दूध बेचा करते थे नीरज

अनिल उपाध्याय, सीतापुर। स्कूल की फीस जमा करने के लिये कभी सड़को पर सब्जी और घर घर जाकर दूध बेचने वाला एक गरीब किसान का बेटा आज एमडी मेडिसिन चिकित्सक बनकर क्षेत्र के लोगो की निश्वार्थ भाव से सेवा कर रहा है। अभाव और संघर्षो में पले बढ़े डॉ नीरज कुशवाहा ने जो मुकाम हासिल किया है वह युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत है। इनके संघर्ष और सफलता की कहानी वर्तमान पीढ़ी के लिये प्रेरणादायी साबित हो सकता है।

विकासखँड सीतापुर के ग्राम रायकेरा, केनापारा निवासी किसान रामभरोष कुशवाहा एवं प्रमिला देवी की चार बेटियाँ और एक बेटा है, जिनका नाम नीरज कुशवाहा है। नीरज प्रारंभ से ही पढ़ने में काफी मेधावी थे। उनकी प्रारंभिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा गाँव मे ही हुई। घर की माली हालत ठीक नही होने के कारण वो पढ़ाई के दौरान अपने पिता के साथ खेती में हाथ बटाया करते थे, और सीतापुर में दूध बेचकर अपनी पढ़ाई एवं घर का खर्च उठाया करते थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने की वजह से घरवाले बेटियों की शादी एवं बेटे की आगे की पढ़ाई को लेकर हमेशा चिंतित रहा करते थे। माध्यमिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद पढ़ाई के प्रति बेटे की लगन देख पिता ने आर्थिक स्थिति अच्छी नही होने के बावजूद नीरज का शासकीय बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय सीतापुर में दाखिला दिलवा दिया। इसी बीच बेटियों की शादी के बाद कर्ज के बोझ तले दबे पिता के चेहरे पर चिंता देख परेशान नीरज कर्ज दूर करने एवं स्कूल की फीस जमा करने उपाय सोचने लगे और अंत मे उन्होंने ठोस निर्णय लिया और पिता के खेतों में सब्जी उगा सीतापुर की सड़कों पर बेचना शुरू कर दिया और सब्जी और दूध बेचकर कक्षा नवमी से बारहवीं तक अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अपना यह काम जारी रखा।

आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और 2003 में सीबीएसई द्वारा जारी दसवीं के परीक्षा परिणाम में नीरज समेत कुल चार विद्यार्थी पास हुये। वही 2005 में कक्षा 12वी में उन्होंने विज्ञान संकाय में स्कूल टॉप किया और पूरे विकासखँड में दूसरा स्थान हासिल किया। इनकी यह सफलता देख इनके परिजन डॉ मंजूषा कुशवाहा, एएमओ, धनुषधारी कुशवाहा सहित शिक्षक एके त्रिपाठी एवं एके शाह ने पीएमटी की तैयारी करने की सलाह दी और आर्थिक मदद भी दिया। जिसके बदौलत इन्होंने पीएमटी की परीक्षा दी और 2008 में पूरे प्रदेश में इन्होंने 95वाँ रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। इस सफलता के साथ उनका चयन सिम्स बिलासपुर के लिये हो गया। जहाँ इन्होंने पाँच वर्ष तक एमबीबीएस का कोर्स किया एवं 2017 में प्री पीजी परीक्षा में 21वाँ रैंक हासिल कर पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के लिये चयनित हुये जहाँ इन्होंने एमडी मेडिसिन की पढ़ाई पूरी की। छोटे से गाँव से पढ़ाई शुरू कर अपने संघर्ष और जुनून के बदौलत ये मुकाम हासिल करने वाले डॉ नीरज कुशवाहा एमडी मेडिसिन क्षेत्र के युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत बन गये है। वर्तमान में वो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीतापुर में अपनी सेवाएं दे रहे है।

अपनी इस उपलब्धि पर उन्होंने कहा कि,जिंदगी की तपिश मुस्कुरा कर तो झेलिये, धूप कितनी भी तेज हो सुखा नही करते। गरीबी की मार झेले डॉ नीरज का कहना है कि वो महानगरों में जाकर पैसा कमाने की बजाये अपने क्षेत्र के लोगो की निश्वार्थ सेवा करना चाहते है अब तक यहाँ एमडी मेडिसिन चिकित्सक की नियुक्ति नही हुई थी। जिस वजह से शुगर बीपी हार्ट एवं लकवा के मरीजो को इलाज के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब उन्हें इसके लिये भटकने की जरूरत नही पड़ेगी। मेरा प्रयास रहेगा कि मैं उन्हें बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान कर सकूँ।