भूपेश सरकार के बजट से कर्मचारियों में निराशा..लिपिक कर सकते हैं आंदोलन!..


अम्बिकापुर..आज प्रस्तुत हुये बजट से कर्मचारी जगत को बहुत आशा थी, विगत वर्ष फरवरी में लिपिक अधिवेशन के दौरान बिलासपुर में माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “यह वर्ष किसानों का है, आगामी वर्ष कर्मचारियों के लिये रहेगा।” लेकिन इस वर्ष के बजट में उन्होंने शिक्षाकर्मियों के अलावा अन्य किसी भी कर्मचारी वर्ग के लिए कोई प्रावधान नहीं किया, जिससे समस्त कर्मचारी जगत में निराशा व्याप्त है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक संघ के संभागीय अध्यक्ष सरगुजा श्री विकाश कश्यप ने बताया कि लिपिकों की वेतन विसंगति विगत 38 वर्षों से चली आ रही है। मध्य प्रदेश के जमाने से इसके लिए बार-बार आंदोलन होते रहे है। लेकिन लिपिकों के साथ केवल छलावा ही हुआ है। वर्ष 2018 में लिपिकों ने 26 दिन तक का हड़ताल किया था, जिसमे माँगो पर सहमति बन गयी थी, एवं सचिव स्तर पर गठित समिति से चर्चा उपरांत हड़ताल समाप्त किया गया था, दुर्भाग्य से इसका आदेश जारी नही हो पाया था। हड़ताल के समय लिपिक पदाधिकारियों और सरकार के मध्य सहमति बनाने में वर्तमान मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल जी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनके मुख्य सचिव बनने पर लिपिक अपनी माँगो के प्रति आशान्वित थे।

आज लिपिक अपने वर्ग में सबसे कम वेतन पर सबसे अधिक काम करने वाले कर्मचारी है। उन पर कार्य भार इतना ज्यादा है, कि प्रतिदिन देर रात तक कार्यालयीन कार्य करने की मजबूरी है। अत्यंत दुख का विषय है कि कर्मचारियों के मेहनत के दम पर बड़ी-बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली सरकार ही हमारी ही अनदेखी करती है।

वर्ष 2018 में लिपिकों की हड़ताल के दौरान प्रदेश भर में कांग्रेश के नेताओं ने लिपिकों की मांग को जायज बताते हुये उनकी हड़ताल का समर्थन किया था, एवं अपनी सरकार बनने पर प्राथमिकता के आधार पर माँग पूरी करने हेतु आश्वस्त भी किया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बिलासपुर के मंच पर मुख्यमंत्री जी ने स्वयं कहा था कि उनकी सरकार जुमलेबाज नहीं है, वह जो कहते हैं वह करते हैं, लेकिन आज के बजट से ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि यह सरकार भी जुमलेबाज ही हैं। वर्तमान सरकार को इतिहास से सबक लेने की जरूरत है। कर्मचारियों की अनदेखी करने का परिणाम पूर्ववर्ती सरकारों ने भी भुगता है, यदि इसी प्रकार कर्मचारियों के साथ भेदभाव होता रहा, तो इस सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

आज पेश हुये बजट से सरगुजा से बस्तर तक के लिपिक काफी आक्रोशित है। हर जगह से तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है, लिपिकों ने आंदोलन करने का मूड बना लिया है। शीघ्र ही संघ की प्रांतीय बैठक आहुत करके इस संबंध में प्रभावी रणनीति बनाकर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

गौरतलब है कि फिलहाल लिपिकों के द्वारा मुख्यमंत्री को उनकी घोषणा याद दिलाने के लिये पोस्टकार्ड अभियान चलाया जा रहा है। परिस्थितियों के अनुसार इस अभियान में परिवर्तन कर आंदोलन का स्वरूप दिया जा सकता है। अपने हक़ के लिये लिपिक सड़क पर भी उतर सकते हैं। इसके बावजूद लिपिकों को मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से अब भी आस बनी हुई है कि अनुपूरक बजट में हमारी वेतन विसंगति दूर करने हेतु प्रावधान किया जायेगा।