केरल के बाद अब सरगुजा में 3 दिनों में 3 हथनियों ने तोड़ा दम.. किसने दिया जहर?.. आखिर कौन ज़िम्मेदार..?

अम्बिकापुर. सरगुजा संभाग मे पिछले तीन दिनो मे तीन मादा हाथी की मौत हो गई है. एक गर्भवती मादा हाथी समेत तीन की मौत के बाद वन महकमे मे हडकंप मच गया है. तो वही करीब 48 घंटे मे इन हाथियों की मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली औऱ मौत की वजह पर सवाल खडा कर दिया है. फिलहाल एक्सपर्ट डाक्टर और वन विभाग के बडे अधिकारियो के मुताबिक मृत हाथियो मे प्वाईजनिंग के सिमटम देखे गए हैं.

अभी केरल मे गर्भवती मादा हाथी के मौत का मामला ठंडा ही नही हुआ था. कि छत्तीसगढ के सरगुजा संभाग मे तीन मादा हाथी की मौत ने वन विभाग की कार्यगुजारी पर सवाल खडा कर दिया है. दरअसल सरगुजा संभाग के सूरजपुर मे एक गर्भवती मादा हाथी का शव बीते 9 जून की सुबह गणेशपुर बांध के पास मिला था. जिसके बाद उसी दिन शाम को दूसरे मादा हाथी का शव पहले मादा हाथी के शव के चंद कदमो की दूरी पर मिला. मादा हाथियो की मौत का सिलसिला यही नही रूका बल्कि तीसरे दिन यानी आज 11 जून को सरगुजा के बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र मे गणेशपुर के जंगल मे तीसरे मादा हांथी का शव मिला. इधर इस मौत के बाद मौके पर राजधानी रायपुर तक के अधिकारियो का तांता लग गया. और फिर प्रदेश वाईल्ड लाईफ के, अतिरिक्त प्रमुख वन संरक्षक नरेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि सूरजपुर जिले के गर्भवती मादा हाथी समेत दोनो मादा हाथी के शव मे प्वाईजन के सिमटम मिले हैं. जबकि बलरामपुर जिले मे आज मिले मादा हाथी के शव का पोस्टमार्टम अभी नहीं हुआ है.

करीब 48 घंटे मे तीन मादा हाथी की संदिग्ध मौत के बाद वन महकमे ने अपनी जांच पडताल तो शुरु कर दी है. इस दौरान जब पहले गर्भवती मादा हाथी का शव मिला तो उसका पोस्टमार्टम कर शव को दफना दिया गया था. लेकिन दूसरे मादा हाथी की मौत के बाद हाथियो के झुंड ने शव को घेर लिया. इसलिए शव का पोस्टमार्टम 30 घंटों के बाद किया जा सका. इधर अतिरिक्त प्रमुख वन्य संरक्षक के मुताबिक हाथियो के शव मे प्वाईजन के सिमटम हैं. इसलिए उनको किसी ने जहर खिलाया है या हाथियो ने कुछ ऐसी चीज खाई. जिससे उनके शरीर मे प्वाईजन बना हो. इस बात की जांच के लिए सूरजपुर और बलरामपुर डीएफओ को जांच का जिम्मा दिया गया है.

दरअसल जिन तीन हाथियो का शव मिला है. ये उस 18 हाथियों वाले दल के सदस्य हैं. जो लगातार सूरजपुर और बलरामपुर जिले मे विचरण करते रहते हैं. इधर हाथियो की मौत के बाद गांव वालो ने हाथियो के चिंहाण को सुना था. औऱ इसकी जानकारी वन विभाग को दी थी. लेकिन वन विभाग के लोग समय पर वहां नहीं पहुंचे. नहीं तो समय रहते हाथियो की जान बचाई जा सकती थी.

छत्तीसगढ वाईल्ड लाईफ के बडे अधिकारियो ने ये तो तय कर दिया है कि हाथी की मौत मे प्वाईजनिंग से हुई है. पर ये प्वाईजन उनके शरीर मे किसी ने पहुंचाने का अपराध किया या फिर हाथियो के शरीर मे किसी संक्रमण की वजह से ऐसा हुआ है. इसकी जांच मे वन विभाग को कितना समय लगता है.ये देखना होगा.