जशपुर। हाथियों का खतरा अब जंगल से निकल कर घर के दरवाजे तक पहुंच गई है। जिले के कुनकुरी वन परिक्षेत्र में घर के दरवाजे पर हमला करने की तीसरी घटना सामने आई है। परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत ठेठईटांगर के आश्रित ग्राम पोखराटोली में एक परिवार के जान खतरे में आ गई थी। इस गांव के रहवासी कुंभकर्ण यादव बीती रात अपने परिवार सहित घर में सोए हुए थे। आधी रात को उनके पड़ोसी पुरनो यादव के घर पर एक दंतेैल ने हमला कर दिया। घर को तोड़े जाने की आवाज सुनकर, कुंभकरण और उनके पुत्र घनश्याम घर से बाहर निकले। दरवाजा खुलने की आहट सुनते ही घर तोड़ रहा हाथी तेजी से दौड़ कर आया और उन पर हमला कर दिया। घनश्याम यादव ने बताया कि हाथी इतनी तेजी से उनकी ओर लपका कि उन्हें दरवाजा बंद करने का मौका ही नहीं मिल पाया। हाथियों ने कुंभकरण के कच्चे मकान को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है।
गनीमत रही की इस शोरगुल से घर के अंदर के कमरे में सो रहे बच्चों की नींद खुल गई और वे जान बचाने के लिए घर के दूसरे हिस्से में चले गए। बुरी तरह से सहमें हुए कुंभकरण, परिवार सहित देर रात तक घर में ही छुपे रहे। उन्होनें बताया कि सहायता के लिए उन्होनें वनविभाग द्वारा गठित हाथी मित्रदल से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सहायता नहीं मिल पाई। घर को ध्वस्त करने वाले हाथी काफी देर तक बाड़ी में उत्पात मचाते रहने के बाद, सुबह होने से पहले नजदीक के जंगल में चले गए। घनश्याम यादव ने बताया कि घर की बाहरी दीवार और दरवाजा को ध्वस्त कर, हाथी घर के अंदर तक घुस आया था और यही पर खड़ा हुआ था।
जिले में हाथियों की बढ़ती हुई हलचल से अब घरों के दहलीज भी सुरक्षित नजर नहीं आ रहें हैं। ग्रामीणों के बाड़ियों में स्थित आम और कटहल की खुश्बू हाथियों को आकर्षित कर रहा है। कुनकुरी वनपरिक्षेत्र में घर पर हाथियों के हमला करने की यह तीसरी घटना सामने आई है। पोखराटोली की घटना से पहले तीन जुलाई को खारीझरिया में घर की बाड़ी में दो भाईयों पर हाथियों ने हमला कर दिया था। इसमें एक भाई अनुज दीपक तिग्गा की मौत हो गई थी। इससे पहले कंडोरा में दिव्यांग सेवानिवृत्त कर्मचारी त्रिलोचन यादव को भी उनके घर के दरवाजे पर ही हाथियों ने कुचल दिया था।