Balrampur-Ramanujgang News ज़िले के रामानुजगंज स्थित जल संसाधन क्रमांक 2 में सर्वे के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है। घोटाला करने वालो में विभाग के एसडीओ इंजीनियर शामिल हैं। मामले का खुलासा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ों के आधार पर हुआ है। फ़िलहाल मामले की शिकायत पर रामानुजगंज पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है। जिसके कारण आरटीआई कार्यकर्ता डी.के.सोनी ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहाँ परिवाद दायर किया है।
आरटीआई कार्यकर्ता डी के सोनी के मुताबिक़ साल 2021-22 के दौरान रामानुजगंज के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा बांध, एनीकट, जैसे निर्माण के लिए सर्वेक्षण का कार्य कराया गया था। जिसमें बड़े भ्रष्टाचार की जानकारी मिल रही थी। लिहाज़ा जब आरटीआई कार्यकर्ता ने मामले के प्रमाणित दस्तावेज निकलवाए तो परत दर परत बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो गया। दरअसल जब आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ों में को खंगाला गया तो पता चला कि इस सर्वेक्षण के मामले की विभागीय जाँच हुई थी। जिसमें ये पाया गया कि साल 2021-22 में जो सर्वेक्षण हुआ है वो फ़र्ज़ी और गुणवत्ता विहीन है। साथ ही कार्य स्थल पर सर्वेक्षण का किसी प्रकार का कोई चिन्ह नहीं है. सर्वेक्षण के नाम पर फ़र्ज़ी तरीक़े से बिना सर्वेक्षण किए 2 करोड़ 20 लाख से अधिक की राशि आहरण कर ली गई है। जिसके बाद जाँच अधिकारी कार्यपालन अभियंता द्वारा इस भ्रष्टाचार की जानकारी जल संसाधन विभाग रायपुर के प्रमुख अभियंता को दी गई थी। और पूरी राशि वसूली करने का निवेदन भी किया गया था। लेकिन उसके बाद से आज तक विभाग द्वारा दोषी अधिकारी और एजेंसी पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।
आरटीआई से मिले दस्तावेज़ों में ये साफ़ कि विभाग के एसडीओ राजेन्द्र प्रसाद सिंह और तात्कालिक उप अभियंता सुजीत कुमार गुप्ता के द्वारा फ़र्ज़ी तरीक़े से बिना सर्वे कराए एजेंसी के नाम रूपया निकाल लिया गया है। हालाँकि विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने पहले मामले की शिकायत 21 जून 2022 के बलरामपुर-रामानुगंज पुलिस अधीक्षक से की गई। और दोषी अधिकारियों पर एफआईआर की माँग की गई। लेकिन पुलिस ने इस बड़े भ्रष्टाचार पर गंभीरता नहीं दिखाई और अब तक एफआईआर नहीं हो सकी। लिहाज़ा आरटीआई कार्यकर्ता डी के सोनी ने इस बार दोनों अधिकारी समेत षड्यंत्र में शामिल कुछ और लोगों के खिलाफ रामानुजगंज के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष परिवाद पेश किया है। जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है और मामले में सुनवाई 28 अक्टूबर तय की गई है। बहरहाल सर्वे के नाम पर भ्रष्टाचार का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कुछ विभाग औेर अधिकारियों द्वारा ऐसा किया गया है। लेकिन उनकी करतूत आज तक फ़ाईलों में ही बंद है।