बलरामपुर…(कृष्णमोहन कुमार )इन दिनों जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना महज एक मजाक बन कर रह गई है..बेरोजगार ग्रामीण मजदूरों को रोजगार देने के उद्देश्य से बनाई गई केंद्र सरकार की इस योजना पर लाख जतन के बावजूद करप्शन खत्म होने का नाम ही नही ले रहा है…सरकारी नुमाइंदे तो अब मनरेगा को ही चारागाह समझ मनरेगा के नियमो को ताक में रखकर मन मुताबिक नियम बना बैठे है…
दरसल बलरामपुर जिले के ग्राम भेलवाडीह के कोडाकुपारा में डुमरखोरका (ब) नाम से संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी..जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बनाया जाना था..जो अब तक तो नही पाया बल्कि विवादों के घेरे में आ गया है..बगैर निर्माण कार्य के मूल्यांकन कराए जनपद पंचायत के अधिकारियों पर आंगनबाड़ी भवन की अग्रिम क़िस्त जारी करने और सरपंच सचिव द्वारा आंगनबाड़ी के पैसों को डकारने के गम्भीर आरोप लग रहे है..
इसी बीच अब इस डूमरखोरका (ब) आंगनबाड़ी का संचालन इस तरीके से हो रहा है..जिसे देख मानो ऐसा लगता है..की बदलते भारत की बदलती तस्वीर के रफ्तार में भी पिछड़ गया हो..इस आंगनबाड़ी के बच्चे कच्चे मकान में बैठकर अपनी प्राथमिक शिक्षा दीक्षा ग्रहण करते है..इतना ही नही बरसात का मौसम तो मानो एकदम से कठिनाई भरा रहता है..लिहाजा बरसात के दिनों में कम बच्चे ही इस वैकल्पिक आंगनबाड़ी में पहुँचते है…
देश का भविष्य किस तरह से गीली जमीन में बैठकर अपना भविष्य गढ़ने आतुर है..यह एक झलक ही काफी है की उन सरकारी नुमाइंदों के लिए जिनके पास बोलने और करने को तो सब कुछ है पर नही है तो केवल इच्छा शक्ति..तभी तो कच्चे मकान की इस आंगनबाड़ी के पास अपना खुद का कोई भवन नही है..महिला बाल विकास विभाग ने डेढ़ लाख की राशि जनपद को बहुत पहले ही भेज दी है..फिर भी आंगनबाड़ी का ढांचा अब तक तैयार नही हो सका है..
इधर तमाम आरोप और प्रत्यारोप के बीच गाँव के सरपंच सुखदेव राम का कहना है की जो पैसे महिला बाल विकास विभाग ने दिए उससे जितना बन पाया वह हो गया..वही सरपंच भी इस बात को मानते है की आंगनबाड़ी के ढांचे याने की डोर लेवल तक के निर्माण कार्य का पहले से ही जनपद के सीईओ और मनरेगा के प्रोजेक्ट आफिसर ने बगैर मूल्यांकन राशि जारी कर दी..जिसे उन्होंने आहरित कर दूसरे कामो में लगा दिया..
इसे महज एक जादुई करिश्मा ही कहा जायेगा की काम तो पूरा हुआ ही नही और सीईओ साहब अपनी मुहर लगा बैठे..तत्कालीन मनरेगा पीओ के ओके रिपोर्ट पर ही उन्होंने पैसे रिलीज कर दी..जबकि बगैर मूल्यांकन मनरेगा के कार्यो का अग्रिम भुगतान नियम के विरुद्ध है..
तो अब सीईओ साहब बन्द पड़े आंगनबाड़ी के निर्माण कार्य को शुरू कराने का हवाला दे रहे है…
जिला प्रशासन के नाक के नीचे खेले गए इस खेल के किरदारों की भूमिका एकदम स्पष्ट है..जिससे अनजान जिला पंचायत के सीईओ शिव अनन्त तायल मामले की जानकारी लेने और फिर कार्यवाही करने की बात कह रहे है…
फिलहाल इस मसले पर क्या जांच होगी और किसके सर पर गाज का सेहरा बंधेगा वह तो अभी से साफ है..पर करप्शन के उन पुजारियों का नौनिहालो ने क्या बिगाड़ा जो उनके हक के आंगनबाड़ी को ही डकार गए..