– रेड़ नदी से जल भरकर कलश यात्रा से शुरू हुई थी महायज्ञ
– ढोल-नगाड़ों भजन के साथ हजारों की संख्या में शामिल हुए श्रद्धालु
– 14 जनवरी को पूर्णाहुति और 2100 दीपक प्रज्ज्वलन के साथ संपन्न हुआ महायज्ञ
क्रांति रावत
उदयपुर से फटाफट न्यूज के लिए
Surguja News: सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले वनांचल ग्राम केदमा में चार दिवसीय 9 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 11 से 14 जनवरी तक किया गया। 11 जनवरी को सुबह 10 बजे करीब गायत्री मंदिर केदमा से कतारबद्ध होकर हजारों की संख्या में नारी शक्ति, देव तुल्य भाई और मातृ तुल्य बहने ढोल नगाड़ों के साथ भजन कीर्तन करते हुए भक्ति पूर्ण माहौल में गली मोहल्ले से होकर 2 किलोमीटर दूर रेण नदी पहुंचे। पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन के बाद कलश में जल भरकर मातृ शक्ति प्रज्ञा पीठ पहुंचे।
प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से प्रज्ञा पुराण कथा का वाचन हरिद्वार से आए विद्वान पुरोहितों द्वारा किया गया। जिसे सुनने के लिए वनांचल क्षेत्र के हजारों लोग नित्य प्रति दिन उपस्थित रहे। यज्ञ स्थल पर देव पूजन के बाद 13 जनवरी शाम को दीप यज्ञ कराया। जिसमें लोगों ने 2100 दीपक जलाए। 14 जनवरी को नौ कुंडीय महायज्ञ के समापन के दिन वैदिक मंत्रोंचार के साथ सैकड़ों लोगों द्वारा पूर्णाहुति की गई। शांतिकुंज हरिद्वार से आए कथा वाचकों के संगीतमय प्रज्ञा पुराण प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। जिसने सुनना प्रारम्भ किया वह सुनता ही रहा। व्यास पीठ से भजनों की ऐसी सुमधुर प्रस्तुति की लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
यज्ञ के दौरान लगभग एक दर्जन ग्रामीण गायत्री परिवार में शामिल हुए और दीक्षा ग्रहण किए।
यज्ञ आयोजन में गायत्री शक्ति पीठ उदयपुर के शुभलाल राजवाड़े, कौशिक जी, और केदमा के सदस्य सहित सज्जू सिंह, रामलाल सिंह,विनोद हर्ष, के.पी.चौहान, जगेश्वर साय पैकरा, मूलचंद अग्रवाल, ए. पी. सोनवानी,कविलास सिंह, सुनील, अशोक अग्रवाल,सत्यकाम साहू, श्रीनाथ सिंह, अशोक गिरी, ऐश नाथ यादव,दीनानाथ यादय,अवधेश यादव,राजेश अग्रवाल, श्यामाकांत सिंह, भोला राम यादव, देवकी यादव, महेश्वर पैकरा, देवेंद्र कुमार पैकरा, लखन यादव, राजेश सिंह तथा अन्य आसपास के दर्जन भर ग्राम के हजारों ग्रामीणों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम योगदान दिया है।
यज्ञ आयोजन तिथि से पूर्णाहुति तक चारों दिन प्रसाद और भंडारा की व्यवस्था यज्ञ समिति द्वारा कि गई थी। यज्ञ संपन्न कराने हरिद्वार से आए टोली में पांच सदस्यों में प्रमुख कथावाचक सर्व सी.आर. यादव, गजाधर, संतोष साहू, छ्न्नु लाल, गोपीराम का योगदान रहा।