अम्बिकापुर। प्रख्यात कवि डॉ कुमार विश्वास ने मैनपाट महोत्सव के पहले दिन शुक्रवार अपनी चिर परिचित अंदाज में कविता पाठ शुरू की तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से जोरदार अभिनंदन किया। उनकी वाक्तृत्व कला ने दर्शकों का विश्वास जीता और कविता की हर पंक्ति पर खूब ताली बटोरी।
डॉ विश्वास ने जब स्वयं से दूर हो तुम भी स्वयं से दूर हैं हम भी कविता की पंक्ति गीत के माध्यम से सुनानी प्रारंभ की तो दर्शक हाथ उपर उठाने लगे वहीं बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मजबूर हैं हम भी अतः मजबूर हो तुम भी पर खूब झुमे दर्शक। इसके बाद कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है गीत पर दर्शकों पर मानो दीवानगी छा गई।
कवि डॉ विश्वास ने अपने करीब डेढ घंटे से अधिक के कार्यक्रम में मैनपाट की खूबसूरती तथा सरगुजा के ऐतिहासिकता से अभिभूत होते हुए यहां कई बार आने की इच्छा व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्यों पर भी अपने अंदाज में कविता के माध्यम से प्रकाश डाला।