अम्बिकापुर. ज़िसे धरती का भगवान कहते हैं. काश वो हमेशा के लिए भगवान हो जाता. तो शायद एक मासूम की जान बच सकती थी. और ना केवल जान बच सकती थी. बल्कि एक मजबूर पिता को अपनी मरी बेटी को कंधे में लेकर पैदल भी नहीं चलना पड़ता. मामला छत्तीसगढ़ के सरगुज़ा का है. जहां के लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बुख़ार पीड़ित मासूम बेटी को कोई ऐसा इंजेक्शन लगाया कि उसकी असमय ही मौत हो गई. दर्दनाक बात ये है कि इंजेक्शन उस वक़्त लगाया गया. जब बच्ची को भूख लगी थी और वो दूध माँग रही थी.
दरअसल, लखनपुर ब्लॉक के ग्राम अमदला निवासी नागेश्वर दास ने अपनी 7 साल की बेटी सुरेखा को बुखार और पेट दर्द होने पर आज सुबह 7 बजे लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया था. जहां भर्ती कराने के कुछ समय बाद बच्ची की मौत हो गई. अब बच्ची के पिता का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे बच्ची के मृत शरीर को कंधे पर रखे हुए है और बता रहे है कि, दो दिन से बच्ची को बुखार था, रात में 12 बजे पेट में दर्द भी हुआ था. इसके बाद सुबह 7 बजे लखनपुर अस्पताल में भर्ती कराए थे. जहां डॉक्टरों ने कहा ठीक हो जाएगा. फिर ऑक्सीजन लगाया गया. उस वक्त अस्पताल में एक नर्स और एक जेंस डॉक्टर मौजूद था. जिन्होंने बच्ची को एक इंजेक्शन लगाया. तब पिता ने कहा कि, बच्ची ने कुछ नहीं खाया है, तो उसकी बेटी ने दूध पियूंगी ऐसा कहा. लेकिन तत्काल में दूध का व्यवस्था नहीं हो सका. फिर तुरंत बाद बच्ची ने पेट में दर्द होने की बात कही, जिसके बाद डॉक्टरों ने फिर ऑक्सीजन लगाया, तो नाक से खून निकलने लगा.
परिजन का आरोप है कि, इंजेक्शन लगाने के बाद बालिका की तबीयत बिगड़ गई, और नाक से खून निकलने के साथ मौत हो गई. वहीं बालिका की मौत होने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था के किस कदर संसाधनों की कमी है. इस बात का भी खुलासा हो गया. दरअसल, लखनपुर और उदयपुर ब्लॉक में एक भी शव वाहन नहीं है. जिसकी वजह से बालिका का पिता उसके शव को कंधे पर उठाकर पैदल ले गया. बता दें कि, लखनपुर और उदयपुर ब्लॉक में एक भी शव वाहन नहीं है, इस बात से स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी भी अवगत है, बावजूद इसके इस ओर कोई पहल नहीं की जा रही. जिसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ता है.
इस संबंध में लखनपुर बीएमओ प्रेम सिंह मार्को ने बताया कि, बालिका को 10-15 दिन से बुखार था, क्रिटिकल कंडीशन में अस्पताल लाया गया था. बच्ची की मां ने बताया कि, 10-15 दिन से हल्का बुखार आ रहा था, और उसका ऑक्सिजन 60 तक आ गया था, जबकि 94 के ऊपर रहना चाहिए. कंडीशन खराब था, लास्ट स्टेज में अस्पताल लाए थे, और लास्ट स्टेज में बहुत बार ऐसा होता है कि, बच्चों को बड़ो को ब्लीडिंग हो जाता है. उन्होने आगे बताया कि, उदयपुर और लखनपुर ब्लॉक में एक भी शव वाहन नहीं है, जिसकी मांग किए है.
बहरहाल, इससे पहले भी ऐसे वीडियो और समाचार प्रकाश में आते रहे हैं कि किसी मजबूर परिजन को ऐसे शव लेकर पैदल चलना पड़ा है. उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और डॉक्टर गंभीर नहीं हुए हैं. ये मामला सूबे के स्वास्थ्य मंत्री का है. जो अपने विभाग की बेहतरी के प्रति काफ़ी संवेदनशील दिखते हैं. ऐसे में उनके विधानसभा के लखनपुर में ऐसे हालात किस ओर इशारा करते हैं. ये आप खुद समझ सकते है.