अम्बिकापुर
महामना मालवीय मिशन सरगुजा के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत गीता का चौथे अध्याय पाठ का आयोजन संस्था के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता के निवास स्थान पर संपन्न हुआ। जिसमें शहर के विद्यवत्जनो ने भाग लेकर पं. मदन मोहन मालवीय के आदर्शो एवं गीता का संदेश को व्यवहारिक जीवन में परिपालन पर बल दिया।
इस अवसर पर संस्था के केन्द्रीय समिति सदस्य हरिशंकर त्रिपाठी (अधिवक्ता) ने कहा कि मालवीय जी का प्रिय ग्रंथ श्रीमद् भागवत गीता रहा है, जिसके संदेश को व्यवहारिक आचरण में समाहित करने का प्रयास मालवीय जी ने किया है। इस ग्रंथ में मनुष्य के सभी प्रश्नो का उत्तर समाहित है।
रणविजय सिंह तोमर ने भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिये गये उपदेशो पर व्यख्यान देते हुए कहा कि कर्म योग्य के बिना सन्यास अर्थात मन इन्द्रिय एवं शरीर द्वारा होने वाले सम्पूर्ण कर्माे में कर्तापन्न का त्याग प्राप्त होना कठिन है। मदन मोहन मेहता ने गृहस्थ आश्रम का कर्मयोगी की महता पर प्रकाश डाला। ब्रम्हाशंकर सिंह (अधिवक्ता) ने संस्कारिक शिक्षा का ज्ञान गीता एवं मालवीय दर्शन से प्राप्त करने को कहा। देवेन्द्र दुबे ने बताया कि जो व्यक्ति प्रेम पूर्व गीता का पाठ करता है उनके जीवन में अभाव नही रहता। वह व्यक्ति काम, क्रोध, मोह एवं माया से रहित होकर सत्य मार्ग पर चलने के लिये अग्रसित होता है। जैसे-भगवान श्री कृष्ण के उपदेशो को अर्जुन ने अपनाया तो माया मोह से विमुक्त होकर युद्ध किया और उन्हें सफलता भी मिली। कार्यक्रम का सचालन सुरेन्द्र गुप्ता के द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन करते हुए पं. राजनारायण द्विवेदी ने कहा कि कर्म की प्रधानता पर गीता महाकाब्य में बल दिया गया है। गृहस्थ आश्रम मे रहकर कर्म करना सत्ययतापूर्ण जीवन का निर्वहन करना ही मालवीय जी के जीवन का आदर्श रहा है जिसे व्यवहारिक जीवन में लाना वर्तमान परिपेक्ष्य का आशय है। आगामी गीता का पांचवा अध्याय का पाठ श्री देवेन्द्र दुबे जी के निवास स्थान पर 13 जुलाई को सुनिश्चित किया गया है।