सूरजपुर जिले में पुरातात्विक धरोंहरों की खोज

सूरजपुर
पुरात्त्व का गढ़ महुली का गढ़वतिया पहाड़ अनेक सती स्तंभ एवं प्राचीन गढ़ के अवशेष

सूरजपुर जिले के अन्तर्गत ओड़गी ब्लाक के बिहारपुर चांदनी क्षेत्र में प्राचीन पुरातात्विक गांव महुली है इस गांव के समीप 1500 मीटर की ऊचाई पर गढ़वतिया पहाड़ पर ग्रामीणों की आराध्य देवी गढ़वतिया माई विराजमान है। गढ़वतिया माई की प्रतिमा काफी प्राचीन है। यह प्रतिमा अष्ठभूजी दुर्गा की है। देवी के हाथो में त्रिशुल, नरमुण्ड, खप्पर, खड़ग पकड़ा हुआ दिखाया गया है इस प्रतिमा को वाहन शेर पर सवार महिषासूर को मर्दन करते हुए दिखाया गया है। इस लिए महिषासूर मर्दनी की है। लोगों कि मान्यता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। महुली गांव धार्मिक दृष्टि से जितना प्रसिद्ध है कहीं उससे ज्यादा प्रसिद्ध पुरातात्विक दृष्टि से है। इस गांव की गढ़वतियां पहाडी पर प्राचीन गढ़ के अवशेष अनेक मुर्तियाॅ पत्थर की गुफा प्र्राचीन कुआं, हवन कुण्ड और सीता स्तभ यंत्र-तंत्र बिखरे पडे़ हुये हैं। सुरक्षा और संरक्षण के आभाव में ग्रामीण चरवाहों के द्वारा इन्हें तोड़ दिया जा रहा है।

सूरजपुर जिले के महुली गांव के गढ़वतिया पहाड़ी पर अनेक सती स्तंभों का मिलना यह प्रमाणित करता है कि यह अंचल भी सती प्रथा के चपेट में रहा होगा। गढ़वतिया पहाड़ी के समतल भाग से लगभग 200 मीटर की खाई में अनेक सती स्तंभ बिखरे पड़े हुए हैं। इस स्थल पर कुछ सती स्तंभों को ग्रामीणों व चरवाहों के द्वारा तोड़ दिया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है इस तरह के कुछ पत्थरों को लोग उठकर अपने घर भी ले गये हैं। गावं के सरपंच रनसाय सिंह ने बताया कि यहां इस तरह के लगभग 100 से अधिक पत्थर है और बताया गया कि हम लोग नहीं जानते कि ये किसकी प्रतिमाए हैं ग्रामीणों ने बताया जब इन स्तंभो को देखा गया तो काले पत्थरों से निर्मित स्तंभ के मध्य भाग में शिवलिंग बने हुए है। इसके दोनो ओर उमा महेश के दो उपासक बंदना की मुद्रा में दिखाया गया है। उनके ठीक उपर अभय की मुद्रा में हाथ उत्कीर्ण है। हाथ के दोनों ओर सूर्य और चांद की आकृति बनी हुई है। और सबसे उपरी सिरे पर कलश की आकृति बनी हुई है। इनकी विशेषताआे के आधार पर ये सती स्तंभ है।

इनका निर्माण काल संभवतः 9वीं सदी से 12 वीं सदी के बीच का माना जा सकता है। गढ़वतिया पहाड़ी के ऊपर समतल भाग पर प्राचीन गढ़ के अवशेष बिखरे पड़े हुए हैं। इस स्थल पर तरासे हुए अनेक पत्थर बिखरे हुए है। पहाड़ी पर शिव, गणेश, हनुमान, महिषासूर मर्दनी की मुर्ति भी देखने को मिलती है। पहाड़ी को देखने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाॅ कोई प्राचीन गढ़ रहा होगा। इसलिए इसका नाम गढ़वतिया पहाड़ पडा। ग्रामीणों  की मान्यता है कि इस गांव में गढ़वतिया पहाड पर राजा बालम ने किला और मंदिर बनवाया था। ग्रामीणों का कहना है कि राजा बालम खैरवार जाति का था। इसलिए परमपरानुसार गढ़वतिया पहाड़ी की देवी की पूजा खैरवार जाति का बैगा पुजारी ही करवाता है। महुली गांव में परंपरानुसार एक दिन पहले होली का त्योहार मनाया जाता है। ग्रामीणों की मान्यता है कि निर्धारित तिथि को होलि का दहन के दिन होलिका स्वत जल जाती है इसलिए एक दिन पहले जलाया जाता है।

संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भारतीय पुरातत्व में नवीन शोध विषय पर रायपुर में 20 से 22 फरवरी 2016 तक आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शोध पत्र वाचन हेतु अजय कुमार चतुर्वेदी सदस्य जिला पुरातत्व संघ सूरजपुर को आमंत्रित किया गया था। कलेक्टर  जी.आर. चुरेन्द्र एवं अध्यक्ष जिला पुरातत्व के आदेशानुसार अजय कुमार चतुर्वेदी ने अपनी खोज सूरजपुर जिले की ओड़गी विकासखण्ड का पुरातात्विक अध्ययन की प्रस्तुती दी। जिसमें महुली का गढ़वतिया पहाड़, सीता लेखनी पहाड़, शिलालेख और लक्ष्मण पंजा जपदा गांव की गुफा जोगी माणा और कुदरगढ़ के शैल चित्र शामिल है। तीन दिवस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में उपस्थित देश भर के पुरातत्व वेताओं एवं इतिहास कारों ने पुरातात्विक धरोहर की खोज पुरातत्व का गढ़ महुली का गढ़वतिया पहाड़ को एक अच्छी सराहनीय पहल बताया। छत्तीसगढ़ के पुरातत्व विभाग द्वारा सूरजपुर जिले के ओड़गी विकासखण्ड के पुरातात्विक स्थलों का संरक्षण गहन खोज खोदाई कार्य एवं सार्थक पहल किया जायेगा, तो निश्चित है कि सूरजपुर जिले का इतिहास एवं पुरातत्व छत्तीसगढ़ में यही नहीं बल्की सम्पूर्ण भारत में सूरज की तरह चमकेगा और छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में एक नया अध्याय जुडे़गा