सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई पॉकेटमारी

अंबिकापुर

जिला अस्पताल में मंगलवार की दोपहर मरीज के परिजन का तीन हजार रूपए पाकेटमार ने पार कर दिया। पाकेटमारी की यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे के आधार पर आरोपी की पहचान सुनिश्चित करने प्रयास शुरू कर दिया है,लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है।

मिली जानकारी के मुताबिक लुंड्रा थाना क्षेत्र के ग्राम बटवाही निवासी मुस्ताक अंसारी 45 वर्ष मंगलवार की दोपहर परिवार की महिला सदस्य का उपचार कराने जिला अस्पताल पहुंचा था। जिला अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग में स्थित काउंटर में खड़ा होकर वह ओपीडी पर्ची लेने में व्यस्त हो गया। अचानक जब उसने पैंट की जेब में हाथ डाला तो देखा कि उसका पर्स गायब था। तत्काल उसने घटना की सूचना जिला अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र में जाकर पुलिसकर्मियों को दी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हेतु पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के साथ ही सीसीटीवी कैमरा लगे होने के बावजूद पाकेटमारी की घटना को पुलिसकर्मियों ने गंभीरता से लिया तथा ओपीडी में पहुंचकर जांच पड़ताल की। संदिग्धों से पूछताछ भी किया गया,लेकिन पाकेटमार का कोई पता नहीं चला। ऐसे में पुलिस ने जिला अस्पताल के ओपीडी में लगे सीसीटीवी कैमरे का सहारा लिया गया। सीसीटीवी फूटेज में पाकेटमारी की पूरी घटना कैद हो गई है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस जांच में पता चला कि बटवाही निवासी मुस्ताक अंसारी जब कतार में खड़े होकर ओपीडी पर्ची ले रहा था उसी दौरान एक युवक वहां आया था। लाल शर्ट पहने उक्त युवक ने मुस्ताक के पीछे खड़े होने से पहले गमछे से अपना चेहरा ढका था। मुस्ताक के साथ लगभग पांच मिनट तक पाकेटमार कतार में ही खड़ा रहा। इस दौरान पाकेट से पर्स निकालने वह कई बार प्रयास करता रहा। जब उसे सफलता मिल गई तो वह लाईन से निकलकर बाहर आ गया। सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में स्पष्ट नजर आ रहा है कि पर्स से नगदी निकालकर आरोपी ने अपने शर्ट के जेब में रखा। एक बार आरोपी द्वारा चेहरे से गमछा भी हटाया गया था। जिला अस्पताल के ओपीडी में लगे सीसीटीवी कैमरे में पाकेटमारी की पूरी घटना कैद होने के बाद हरकत में आए पुलिसकर्मी भी युवक को नहीं पहचान पाए। सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट है कि पाकेटमारी की घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी युवक काफी देर तक अस्पताल परिसर में ही भटकता रहा। तब तक पुलिस कर्मियों को भी घटना की खबर लग चुकी थी। वे जांच-पड़ताल में लगे हुए थे, लेकिन किसी ने भी पाकेटमार को नहीं पहचान पाया।