सरगुजा में खनन कंपनियों के दबाव में प्रशासन करा रहा है कानूनों का उल्लंघन

  • घाटबर्रा का सामुदायिक अधिकार एवं 800 व्यक्तिगत अधिकार पत्रक को निरस्त करने का किया विरोध

अम्बिकापुर

ग्राम घाटबर्रा के सामुदायिक अधिकार को निरस्त किये जाने के विरोध में छत्तीसढ़ बचाओं आन्दोलन व हसदेव अरण्य बचाओं संघर्ष समिति के द्वारा संयुक्त रूप से आज 1 मार्च को स्टेट बैंक कलेक्टर शाखा के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा। धरना प्रदर्शन में सरगुजा जिले के ग्राम घाटबर्रा, साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, परोगिया सहित अन्य गांव व कोरबा, कोरिया, बलरामपुर तथा सूरजपुर जिले के ग्रामीण शामिल हुये। धरने में शामिल हुये ग्रामीणों ने एक स्वय में कहा कि लम्बे संघर्ष के बाद बने ऐतिहासिक वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत आदिवासियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के वन अधिकारों को मान्यता नही दी जा रही है। रमन सरकार सिर्फ कार्पोरेट जगत मुनाफे के लिए ही कार्य कर रही है। सरगुजा में अदानी सहित अन्य खनन कंपनियों के इशारे पर प्रशासन कार्य कर रहा है। संवेधानिक ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद भी जंगल जमीन से लोगों को बेदखल किया जा रहा है।

धरना प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुये समाजवादी नेता आनंद मिश्रा ने कहा कि आज सारी दुनिया में यह साबित हो चुका है कि वर्तमान विकास का यह माडल विनाश ही लायेगा। हमारी केन्द्र व राज्य सरकार आज इसी माडल को लागू कर रही है। छत्तीसगढ़ के इलाके में इसे लागू करने से छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि सम्पूर्ण भारत के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव के साथ प्र्यावरण के लिए भी घायत ही होगा। हसदेव अरण्य बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक जयनंदन पोर्ट ने आरोप लगाते हुये कहा कि जिला प्रशासन ने अदानी कंपनी के दबाव में आकर यह जन विरोधी कदम उठाया है जिसके खिलाफ हम जमीनी और कानूनी लड़ाई दोनों लड़ेगे। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं आम आदमी पार्टी के नेता अमरनाथ पाण्डे ने कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है जो खनिज सम्पदा को छीनकर उद्योगपतिया को दे रही है।