शिकायत के बाद बन्द हुआ गड्ढे की गहराई बढ़ाने का काम

ईएनसी के जांच के आदेश बाद सबूत मिटाने ठेकेदार बढ़ा रहा था गहराई

जल आवर्धन योजना प्रतापपुर में भ्र्ष्टाचार का मामला,कार्यवाही का इंतज़ार

सूरजपुर 

प्रतापपुर से राजेश गर्ग 

जल आवर्धन योजना प्रतापपुर में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद जांच के आदेश पर जिले के अधिकारी जांच के बजाए सबूतों को मिटाने गड्ढों की गहराई बढ़ाने में जुट गए थे,मामले की शिकायत और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद गहराई बढ़ाने का काम बंद हुआ। दूसरी तरफ कई शिकायतों और जांचों के बावजूद आज भी दोषियों के खिलाफ कार्यवाही का इंतज़ार है।

गौरतलब है कि करीब तीन करोड़ की लागत की जल आवर्धन योजना भ्रस्टाचार के भेंट चढ़ चुकी है जिसकी शिकायतों और जांच में प्रमाणित होने के बावजूद कार्यवाही नहीं होने पर इसकी शिकायत मेल से विभाग के ईएनसी को की गयी थी जिस पर उन्होंने प्रत्येक दस मीटर के गहराई और चौड़ाई की नाप कर समग्र परिक्षण सहित प्रतिवेदन माँगा था। विभाग ने उनके आदेश के दो महीने बाद भी जांच तो नहीं की लेकिन भ्रष्टाचार के सबूतों को मिटाने गड्ढों की गहराई बढ़ाने में जुट गया था।  स्थानीय लोगों ने गड्ढे खोद रहे मजदूरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि ठेकेदार ने उन्हें ऐसा करने बोला है जिसके बाद इसकी शिकायत एसडीएम और पुलिस को देते हुए पुनः मेल से इसकी शिकायत ईएनसी पीएचई रायपुर सहित प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन को सबूतों को मिटाने का प्रयास करने को लेकर ठेकेदार सहित इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की थी जिसके बाद ठेकेदार ने गहराई बढ़ाने का काम बंद किया,पुलिस ने ठेकेदार के मुंशी को हिदायत भी दी कि बिना जांच कोई काम न हो।

अपने ही जाल में फंस रहे ईई

गड्ढा खोद गहराई बढ़ाना ईई एसबी सिंह को उनके जाल में ही फंसाता जा रहा है। पूर्व में अपर कलेक्टर की जांच में गहराई कम होने की बात सामने आने के बाद ईई ने शासन प्रशासन को लिखित सुचना दी थी कि उनके द्वारा काम सुधरवा दिया गया है किन्तु यह कोरा झूठ साबित हुआ था जब एसडीएम जगन्नाथ वर्मा ने अपने प्रतिवेदन में गहराई काफी कम व् टँकीयों में लिकेज होने की बात कही थी। अब पुनः गड्ढे खोद गहराई बढाने का काम उनके झूठ को और प्रमाणित कर रहा है क्योंकि उनके अनुसार जब काम सुधरवा दिया गया तो जांच के आदेश के बाद गहराई बढ़ा सबूतों को मिटाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है,पुरे मामले में ईई एसबी सिंह खुद ही अपने जाल में फंसते जा रहे हैं।

प्रधानमन्त्री सहित अन्य को पुनः शिकायत

कई बार शिकायतों और जांचों के बाद भी कार्यवाही न होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता राकेश मित्तल ने पुरे मामले की शिकायत पुनः प्रधानमन्त्री सहित पीएचई विभाग के सचिव,ईनसी रायपुर व् अन्य को की है। शिकायत में उन्होंने बताया कि जल आवर्धन योजना के तहत बनाई गयी दोनों टँकीयों में जबरदस्त लिकेज है,बार बार मरम्मत के बाद भी इनका लिकेज बन्द नई हो रहा है और विभाग के अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं।इसके लिए बिछाये गए पाईप लाईन कार्य में व्यापक अनियमितता की गयी है एक मीटर की बजाए अधिकाँश गड्ढे की गहराई बीस सेमी के आसपास है,गड्ढे की चौड़ाई भी बहुत कम है,गड्ढे में पाईप डालने से पहले गड्ढे को लेबल नहीं किया गया और नहीं पाईप डालने के बाद फिलिंग।क्रांक्रीट कार्य नहीं के बराबर किया गया है मात्र दिखाने के लिए कुछ जगहों में सड़को के ऊपर थोड़ा बहुत कांक्रीट कर दिया गया है।नियमतः सबसे पहले सप्लाई के लिए पानी का सर्वे होना था किन्तु इस कार्य के लिए कराये गए बोरों में पानी न मिलने के कारण टंकी भरने के लिए पुराने कई हैण्ड पम्पों का सहारा लेना पड़ रहा है।शिकायत में उन्होंने बताया कि शिकायतों पर पहले अपर कलेक्टर सूरजपुर ने जांच की थी जिसमें शिकायत सही पाई गयी थी किन्तु किसी भी दोषी के ऊपर कार्यवाही नहीं हुयी। बल्कि ईई एसबी सिंह ने प्रशासन शासन को गुमराह किया और झूठ बोला कि पुरे काम को सुधार दिया गया है।पिछले महीने एसडीएम प्रतापपुर द्वारा पुनः जांच कर कलेक्टर को प्रतिवेदन  भेजा कि एक जगह गड्ढे की गहराई 28 सेमी व् एक जगह 55 सेमी पाई गयी तथा दोनों टँकीयों में लिकेज पाया गया। किन्तु इस प्रतिवेदन पर भी कार्यवाही नहीं हुयी और ईई का सुधारने का दावा झूठ साबित हुआ।अब पुनः ईएनसी रायपुर द्वारा जांच का आदेश दिया गया है लेकिन स्थानीय अधिकारी जांच न कर सबूतों को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं।अधिकारियों द्वारा फर्जी मेजरमेंट कर ठेकेदार को लाखों का भुगतान कर दिया गया है इन्होंने ऐसे कार्यों का मेजरमेंट किया है जो हुआ ही नहींहै जैसे गड्ढा का पेमेंट एक मीटर हुआ जबकि अधिकांश हिस्सों में गहराई 20 सेमी के करीब है। जितनी लंबाई बताई गई है उतना काम भी नहीं हुआ है,कांक्रीट,लेवलिंग,फिलिंग इत्यादि का फर्जी मेजरमेंट किया गया है।उन्होंने बताया कि पुरे मामले में दो ठेकेदारों के साथ ईई एसबी सिंह,विजय मिंज,एसडीओ मिश्रा,ओमकार सिंह,आरपी सिंह व् सब इंजीनियर ज्ञानेश मिश्रा के साथ अन्य  लोग दोषी हैं । योजना के प्रारम्भ से स्थानीय लोगों द्वारा विभाग के लोगों को सचेत किया जाता रहा था कि काम ठीक नहीं हो रहा किन्तु वे किसी बात की परवाह किये बिना ही मनमर्जी से घटिया काम करते चले गए, इन अधिकारियों और ठेकेदारों रवैये के कारण पूरी योजना अधर में लटक गयी है और बेकार हो गयी है। शिकायत कर्ता ने शिकायत में दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कराते हुए अब तक हुए भुगतान की समस्त राशि की वसूली कर पूरा का लुरा कार्य नए सिरे से कराने की मांग की है।