महामना मालवीय मिशन द्वारा गीता विषय पर संगोष्ठी

 

अम्बिकापुर 

भारत में पति ब्रता धर्म एवं गीता विषय पर संगोष्ठि का आयोजन महामना मालवीय मिशन द्वारा एम.एम.मेहता के निवास पर संपन्न हुआ, जिसमें श्रीमद् भागवत गीता के 16वां अध्याय का सामूहिक वाचन एवं नगर के प्रबुद्ध लोग एवं विद्यवत जनो ने अपना-अपना विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर हरिशंकर त्रिपाठी ने कहा कि भारत वर्ष में संस्कार एवं अध्यात्म का महत्व सदियो से है, जिसमें पति व्रता धर्म का कई उदाहरण देखने को मिलता है। विगत दिनो कारवां चैथ का त्यौहार था इस त्यौहार में भारतीय नारी पति के लिये मंगल कामनाओं एवं दीर्घायु हेतु उपवास रहती है। पतिव्रता धर्म में इतने शक्ति है कि सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान का प्राण वापस लाया। ललित मोहन तिवारी ने बताया कि श्रीकृष्ण ने गीता मे कहा है कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति न अंदर से ज्ञानि होता है न बाहर से। उस व्यक्ति के जीवन में असुरी संपदा का प्रभाव रहता है जो नरक के द्वार पर खडा कर देता है। आर.एन.अवस्थी ने कहा कि मानव जीवन एक अभ्यास है व्यक्ति का जैसा दिनचर्या या अभ्यास रहेगा वैसा ही उसे प्रतिफल मिलेगा। दूर्गा प्रसाद तिवारी ने बताया कि जब भीस्म पितामह अपने अंतिम क्षणो में ब्राम्हणो को उपदेश दे रहे थे तो द्रोपदी ने हंस दिया। इस पर पितामह ने कारण पूछा तो उसने लाटमटोल कर अपनी गलती कह पितामह के पैर छू लिया। परन्तु पितामह को लगा कि यह कुछ बात छीपा रही है। उनके आंखो से आंसू झरने लगा तो द्रोपदी ने चीरहरण की बाते याद दिलायी। श्रीमती अलख रानी देवी ने भारतीय त्यौहारो के महत्व पर प्रकाश डाला। श्रीमती नीलू मेहता ने गीता ने कहा कि गीता निर्मल अविरल धारा की तरह है जिसमें कर्म योग, भक्ति योग, और संकार योग का संगम है। किरण मेहता ने पतिव्रता धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच ही कहा गया है कि पति परमेश्वर होता है और परमेश्वर के प्रति संसय रखकर कोई कार्य नहीं करनी चाहिए। रणविजय सिंह तोमर ने काम-क्रोध एवं लोभ को नरक का प्रवेश द्वार कहा। देवेन्द्र दुबे ने बताया कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर कार्य करता है वह अंत समय में नरक का भोगी होता है उसका जन्म बार-बार सुपर-कुपर एवं नीच योनी मे होता है। माधव शर्मा ने पतिव्रता धर्म को संस्कार का प्रतिक कहा। सुदर्शन पाण्डेय ने कहा कि माता सीता कहती है कि जीव बिनु देह नदि बिनु बारी, तैसे नाथ पुरूष बिनु नारी। इससे स्पष्ट है कि भारतीय समाज में पति और पत्नी के जीवन की परायणता का कितना महत्व है। रामलखन सोनी ने कहा कि जिस समाज में नारी को सम्मान मिलता है उस समाज में देवता बिहार करते है। अर्थात सुख शांति और सामृ़िद्व आती है। आर.बी.गोस्वामी ने कहा कि मनुष्य जिस धर्म मे पैदा हो उसमे सम्पूर्णता का भाव रखकर कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पं.राजनारायण द्विवेदी ने कहा कि संस्कार का महत्व सदियो से है जब भी हम विवाह के लिये बहु या वर ढुढने जाते है तो सबसे पहले संस्कारीक परिवार का तलाश करते है और उसी संस्कार का एक भाग पतिव्रता धर्म है। रेखा मेहता ने कहा कि नारी और पुरूष एक रथ के दो पहिये है जिसे समन्वय से चलाना होता है। आभार प्रकट मोदन मोहन मेहता ने करते हुए कहा कि आधात्मिक समागम से परिवार में संस्कार आता है। गीता पाठ से सामाजिक समरसता का संदेश जा रहा है। कार्यक्रम में हरिशंकर मेहता, नागेन्द्र नारायण सिंह, प्रविण मेहता, अजय मेहता, मुक्ता मेहता, मनिष मेहता आदि उपस्थित रहे।