प्रशासनिक उपेक्षा पर आस्था की जीत के साथ ,,,, की गई शक्ति की भक्ति

  • शक्ति की भक्ति के रंग में रंगा उदयपुर क्षेत्र
  • प्रशासनिक उपेक्षा पर आस्था की जीत

अम्बिकापुर/उदयपुर 

उदयपुर क्षेत्र में  चैत्र राम नवमी के अवसर पर अष्टमीं के दिन राम जानकी मंदिर रामगढ़, जजगा रम्पुरहीन दाई मंदिर एवं डांडगांव के देवल्ला में हजारों श्रद्धालुओं ने मत्था टेका । भक्ति का रंग लोगों पर ऐसा चढ़ा कि भरी दोपहरी एवं तपती धूप की परवाह किये बगैर लोग मंदिर एवं देवल्ला के बाहर घंटों लाईन में खड़े रहकर दर्शन लाभ प्राप्त किये । रामगढ़ पहाड़ी पर सिंह द्वार व मंदिर में लोगों का रेला देखते ही बनता था। पुलिस बल मुस्तैदी से इन जगहों पर सजग प्रहरी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है। इस पर्व पर रामगढ़ एवं रम्पुरहीन मंदिर में जगह जगह श्रद्धालुओं के लिए पानी, गुड़ चना एवं भण्डारे की व्यवस्था विभिन्न संगठनों एवं व्यापारियों द्वारा की गई है। शिव मंदिर प्रांगण उदयपुर में शारदा महिला मंडल द्वारा अखण्ड रामायण के साथ भंडारा का आयोजन भी रखा गया। इस अवसर पर अखण्ड रामायण, जसगीत एवं भक्ति संगीत का आयोजन भी श्रद्वालुओं के लिए किया गया। गायत्री मंदिर उदयपुर में भी प्रतिदिन विषेष हवन पूजन का आयोजन किया गया है। दसवीं के दिन यहां पूर्णाहूति एवं भण्डारे का आयोजन किया जाता है।  सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये उदयपुर पुलिस द्वारा सड़क से लेकर मंदिर तक सभी जगहों पर सीमित संसाधनों एवं बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था जारी है । वन विभाग उदयपुर द्वारा स्टाल लगाकर वनों में आग न लगाने एवं सफाई व्यवस्था बनाये रखने की सलाह लोगों को दी गई एवं समीप ही गुड़ चना व पानी की व्यवस्था की गई है। सीता बेंगरा एवं बड़े तुर्रा मेला के पास स्वास्थ्य विभाग द्वारा डाॅक्टरों के नेतृत्व में कैंप लगाई गई है। देवी जसगीत कार्यक्रम का आयोजन जजगा में स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाना है। जनप्रतिनिधियों द्वारा भी किसी भी  प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नही कराने का मलाल श्रद्धालुओं में चर्चा का विषय बना हुआ है ।

शासन प्रशासन के द्वारा भी इतने बड़े धार्मिक आयोजन की घोर उपेक्षा समझ से पर है और श्रद्धालुओं के रोष का कारण है । रामगढ़ के विकास के नाम पर पुरातत्व एवं वन विभाग द्वारा करोड़ों रूपये स्वीकृत किये गये है परंतु इतने के बाद भी संसाधन का अभाव स्पष्ट देखने को मिलता है सीताबेंगरा के बाद ना तो पीने की पानी की व्यवस्था, ना कहीं प्रतिक्षालय और पुरे रास्ते लगभग 4 किलोमीटर में सोलर लाईट से रौषन विद्युत की व्यवस्था है। जिससे लोगों को बहुत राहत मिल रही है। जंगल में कई जगहों पर आग लगी हुई है जिससे प्राकृतिक सम्पदा एवं जैव विविधता की चीजें नष्ट हो रही है । हर्बल ग्राम के रूप में विकसित किये जाने की मंशा को आग से ग्रहण सा लगने जैसा प्रतीत होता है । आग काफी विकराल रूप लिये हुये था जिससे रामगढ़ का बड़ा हिस्सा जलकर अपनी दुर्दषा खुद ही बयां कर रहे है। इस ओर प्रारंभ से ही गंभीरता से ध्यान नही दिया जाना प्रशासन की उपेक्षा को दर्शाता है ।