अम्बिकापुर
अक्षय भारत परियोजना ग्लोबल फण्ड राउंड-9 टी.बी. नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत जिला स्तरीय क्षय नियंत्रण फोरम का बैठक हाॅटल बिरेन्द्र प्रभा में केयर इण्डिया, वल्र्ड वीजन, रायगढ़, अम्बिकापुर हेल्थ एसोसियेशन (राहा) एवं जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र सरगुजा के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ। जिसमें सरगुजा जिला को क्षय मुक्त जिला बनाने की रणनीति का पहल किया गया। कार्यक्रम में जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र के डी.पी.सी. जैनुल हसन फिरदौसी ने कहा कि क्षय रोग हवा के माध्यम से फैलने वाली बीमारी है जिसका संक्रमण का भय सभी को है जो रोगी दवा नहीं खा रहे है उसके खांसने, छिकने से टी.बी. के बैक्ट्रिया हवा में फैल जाते है जिससे स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। महामना मालवीय मिशन के केन्द्रीय समिति सदस्य हरिशंकर त्रिपाठी ने सुझाव देते हुए कहा कि इस फोरम में जाति पंचायत के मुखिया को जोड़ा जाये जो ग्राम अधिक प्रभावित है वहां सामुदायिक बैठक का आयोजन किया जाये। वहां मालवीय मिशन के सदस्य जाकर जागरूकता का संदेश देंगे। मिशन द्वारा स्कूल काॅलेजो में व्याख्यान माला का आयोजन किया जा रहा है उसमें भी हमलोग टी.बी. रोग की जानकारी देंगे, जिससे जागरूकता का ंसचार होगा। रणवीजय सिंह तोमर ने कहा कि क्षय रोग के कारण प्रति तीन मिनट में दो व्यक्ति की मौत हो रही है यह राष्ट्रीय एवं सामाजिक समस्या बनते जा रहा है जिस पर नियंत्रण के लिये सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही काफी नहीं है इसमें तो सिविल सोसायटी को आगे आना चाहिए। एम.एम.मेहता ने ग्राम सभा के मूल एजेण्डे में क्षय रोग को शामिल करने की बात कही। सरगुजा सेवा उन्नती संस्था के वशिष्ठ यादव ने टी.बी. एवं एच.आई.वी. सह संक्रमण की जानकारी देते हुए कहा कि 95 प्रतिशत एड्स रोगियों का मौत टी.बी. के कारण हो रहा है इसलिए क्रास रेफरल जरूरी है। अक्षय भारत परियोजना के परियोजना समन्वयक आर.एन.द्विवेदी ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार एक लाख की जनसंख्या में 216 लोगो को छत्तीसगढ़ में प्रति वर्ष टी.बी. होना बताया जाता है परन्तु 216 लोग प्रति वर्ष डाट्स पद्धति से नहीं जुड पा रहे है या तो ये रोगी प्राईवेट क्लीनिक में चले जा रहे है एवं कुछ लोग ईलाज ही नहीं कराते। जब रोगी का स्थ्तिि ज्यादा खराब हो जाती है तब टी.बी. अस्पताल आते है। प्राईवेट में रोगी का पैसा भी ज्यादा खर्च होता है जबकि क्षय नियंत्रण केन्द्र से जांच एवं दवा बिलकुल निःशुल्क है। दवा की गुणवत्ता का परीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है। संक्रमण न फैले इसके लिये अति आवश्यक जागरूकता है। रितेश गुप्ता ने विभिन्न विभागो को समन्वय बैठक में क्षय रोग की जानकारी देने की बात कही। जे-पाल संस्था के संदीप वशिष्ठ ने बताया कि यह एक अंतराष्ट्रीय संस्था है जो सरगुजा, जशपुर एवं कोरिया जिला में क्षय रोग पर रिसर्च का कार्य कर रही है। रिसर्च के प्रतिवेदन आर.एन.टी.सी.पी. को भेजा जायेगा जिससे इस बीमारी को नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी।