बैंक कर्मचारियों ने ग्रामीणों ने नाम से करोड़ों का लोन निकाल किया गबन
फर्जी दस्तावेजों के सहारे गुमराह कर बना दिया केसीसी
ग्रामीणों ने एसडीएम से की शिकायत
सूरजपुर
प्रतापपुर से “राजेस गर्ग”
सुनने में यह अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है,प्रतापपुर में ग्रामीण बैंक सरकारी जमीनों का पट्टा बांट रहे हैं। इतना ही नहीं बैंक कर्मचारी दलालों के साथ मिल भोले भाले ग्रामीणों को गुमराह कर उनके नाम से केसीसी बना पूरी राशि हजम कर जा रहे हैं,प्रतापपुर के चांचीडांड और टुकुडाण्ड के ये मामले सामने आये हैं जहां ग्रामीणों को पता ही नहीं है कि उनके नाम से लोन भी है। मदद की सभी जगह से उम्मीद टूटने के बाद ग्रामीणों ने एसडीएम जगन्नाथ वर्मा से शिकायत करते हुए कार्यवाही की मांग की है।बताया जा रहा है कि पुरे ब्लॉक में रेकेट काम कर रहे और ग्रामीण बैंको के साथ एसबीआई और सहकारी बैंकों में बैंक कर्मचारियों से मिल जमकर फर्जी वाड़ा कर रहे हैं, एसडीएम ने वृहद जांच कराने की बात कही है।
छजकां नेता जिशान खान के साथ टुकुडाण्ड और चाचीडांड के रामजनम,रामरतन,रजन,मदन,रामचन्द,अर्जुन,लक्ष्मण,नान साय,सुरेश और राजू ने अपनी शिकायत में एसडीएम को बताया कि उनके पास ग्रामीण बैंक की वसूली की नोटिस आई तो उन्हें पता चला कि उनके नाम केसीसी लोन है। पूरी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सन् 2011 में ग्रामीण बैंक प्रतापपुर का चपरासी सुरेश अपने साथियों देवा मकनपुर,पीपर साय पडिपा और नटल करसी के साथ रामरतन घसिया के घर पर आया और बोला कि दस लोगों का समूह बनाओ और बैंक से छूट में पैसा मिलेगा और तुम लोगों की सरकारी जमीन का पट्टा भी मिलेगा। मैं इनकी बातों में आ गया और तुरंत आसपास के अन्य लोगों भी घर पे बुला लिया,सभी ने सुरेश लोगों की बात सुनी और सभी तैयार हो गए क्योंकि उन्हें उनकी जमीन का पट्टा और पैसे मिल रहे थे। इसके बाद उन्होंने वहीँ बैठ कर सारे कागज़ तैयार किये और उनसे भी दस्तखत कराये,थोड़ी देर बाद बैंक का मेनेजर भी वहाँ पहुँच गया जिसका नाम उन्हें नहीं पता है लेकिन वे उसे गुप्ता नाम से संबोधित कर रहे थे,बैंक मैनेजर ने भी कागजों में वहीँ पर दस्तखत किये। जिसके बाद उन्होंने हमें पट्टा,ऋण पुस्तिका,पास बुक दिया और दो दिन बाद बैंक में बुलाया जहां कुछ लोगों को उन्होंने पांच पांच हजार रूपए दिए। कुछ दिनों बाद उनके पास बैंक का नोटिस आया जिसमें लोन लेने का उल्लेख था जिसे देख उनके होश उड़ गए। जब वे बैंक में गए तो पता चला कि उनके नाम से पचास पचास हजार रुपये का केसीसी लोन बना है उन्होंने बैंक में हल्ला किया तो मैनेजर और सुरेश सभी लोग उन्हें ही धमकी देने लगे और हम पर तकाजा चालु कर दिया। उनकी धमकियों से डर राजू और अर्जुन ने बैंक का कर्ज भी पटा दिया। हमलोगों ने कई जगह इसकी शिकायत की और मदद मांगी किन्तु हमें कहीं न्याय नहीं मिला। हमारे पास बैंक का नोटिस बार बार आ रहा है जबकि हमने कर्ज लिया ही नहीं है,सुरेश ने उनसे पासबुक और पट्टा भी वापस ले लिया है।
तहसीलदार सहित सभी का दस्तखत स्वयं करते हैं
शिकायत कर्ताओं ने एक ऋण पुस्तिका की फ़ोटो कॉपी प्रस्तुत की जिसमें तहसीलदार के दस्तखत थे। एसडीएम को जिशान खान ने बताया कि वे सभी सक्षम अधिकारियों के सील और अन्य दस्तावेज रखे रहते हैं और खुद ही सभी के दस्तखत भी करते हैं। चूँकि बैंक मैनेजर पुरे फर्जी वाड़ा में शामिल रहता है और बाद में कोई दस्तावेज जाँच नहीं करता इसलिए किसी को पता ही नहीं चलता।
बहुत बड़ा रेकेट,सभी बैंको में है फर्जी वाड़ा
जिशान खान ने एसडीएम से बताया कि प्रतापपुर क्षेत्र में बहुत बड़ा रेकेट पिछले कई वर्षों से सक्रीय है जो ब्लॉक के सभी ग्रामीण बैंकों,एसबीआई और सहकारी बैंकों में बैंक अधिकारियों से मिली भगत कर जमकर फर्जी वाड़ा करते हैं। फर्जी केसीसी,ट्यूब वेल खनन के हजारों प्रकरण हैं जो फर्जी हैं और हितग्राहियियों को इसकी जानकारी ही नहीं है। दलाल और बैंक कर्मचारी सभी दस्तावेज खुद ही तैयार करते हैं और धड़ल्ले से बैंकों में प्रकरण तैयार करते हैं। पूर्व में एसडीएम आईएएस यशवंत कुमार ने दो दलालों के यहाँ छापा मारा था किन्तु कार्यवाही नहीं हुयी,कई बार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं किन्तु कार्यवाही नहीं होती जिससे दलालों और बैंक कर्मियों का मनोबल बढ़ा रहता है।
वृहद जांच व कार्यवाही होगी-एसडीएम
पूरे मामले को जानने और ऋण पुस्तिका देखने के बाद एसडीएम जगन्नाथ वर्मा ने कहा कि इतना बड़ा फर्जी वाड़ा होने के बाद भी कार्यवाही न होना समझ से परे है,वे इस मामले में शांत नहीं बैठेंगे और वृहद् जांच कराएंगे। गरीब आदिवासी परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।